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सफलता की सीख हैं मारुति नन्दन

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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हनुमान जयंती विशेष….

मनीषियों के अनुसार अंजना और केसरी के लाल हनुमानजी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था। इसलिए ही सनातनी इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम से मनाते हैं, जबकि केरल और तमिलनाडु जैसे स्थानों में मार्गशीष माह की अमावस्या को एवं उड़ीसा में वैशाख माह के पहले दिन मनाया जाता है। भगवान हनुमानजी को बजरंग बली, केशरी नंदन, पवन कुमार, मारुति नन्दन, संकट मोचन, हनुमत, दु:खभंजन, आंजनेय(अंजना का पुत्र)आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है।
बचपन में इनकी शरारत के चलते देवराज इन्द्र को इन पर वज्र से प्रहार करना पड़ गया था। इसके बाद वायु देव के दखल देने पर परमपिता ब्रह्माजी इनको होश में लाए और दीर्घायु का वरदान अर्थात युद्ध में हमेशा अजेय रहेगा के साथ सभी ब्रह्मदण्डों से अवध्य, अपनी इच्छानुसार रूप धारण कर जहाँ जैसे विचरण करना चाहेगा कर सकेगा, अर्थात अपनी गति पर सम्पूर्ण नियन्त्रण कर सकेगा , का वरदान भी दिया। इसी वरदान को तुलसीदास जी ने उक्त शब्दों में व्यक्त किया ‘सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रुप धरि लंक जरावा॥’
भगवान बजरंगबली को बाकी देवताओं ने भी आशीर्वाद व वरदान देकर अनुग्रहित किया।
भगवान भोलेनाथ ने वरदान दिया कि न केवल मेरे शस्त्रों से, बल्कि मेरे से भी अवध्य रहेगा तो भगवान भास्कर ने अपने तेज का सौवां हिस्सा प्रदान किया। देवराज इन्द्र ने तो इनको आशीर्वाद दे इनके शरीर को वज्र की भाँति कर दिया। ऐसे ही जलदेवता वरूण,
धर्मराज यम, कुबेर देव और देव शिल्पी आदि ने भी अपने आशीर्वचन में वरदान दे दिया। इस प्रकार इतने अवेध्य वरदान प्राप्त कर भगवान हनुमानजी न केवल परम शक्तिशाली बन गए, बल्कि उद्धत भाव से विचरण करने लगे।
हनुमानजी से सम्बन्धित रोचक बात यह भी कि-जब माता सीता ने इनको ‘अजर बनो’ वरदान प्रदान किया तब उन्हें हनुमानजी के मुख पर प्रसन्नता नहीं दिखी। इसलिए दूसरा वरदान ‘अमर रहो’ का दिया। फिर भी हनुमानजी खुश नहीं दिखाई दिए, तब माता ने कहा-‘अजर, अमर, गुणनिधि वाले वरदान तो है ही लेकिन जाओ, मेरा आशीर्वाद है कि प्रभु श्रीरामजी का तुम्हारे ऊपर असीम प्रेम रहेगा।’ इतना सुनते ही वे प्रसन्न हो गए।
ऐसे ही हनुमानजी एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्हें रावण वध के लिए हुए संग्राम में किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुँची थी। कलियुग में भैरवबाबा, कालीमाता, अम्बे माता के साथ हनुमानजी को भी जागृत देव माना गया है, अर्थात इनकी विनती करने से ये बिना विलम्ब सहायता करते हैं। सार यही है कि कलयुग में संकटमोचन की आराधना से हम अपने सारे कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। वे जागृत देवता हैं इसलिए सच्चे मन से प्रार्थना करने पर न केवल सहायता करेंगे, बल्कि दर्शन देकर कृतार्थ भी कर देते हैं। हनुमानजी अतिबलशाली, बुद्धिमान के साथ न केवल महाज्ञानी और व्यवहार कुशल, बल्कि धैर्यवान भी थे। जब प्रभु श्रीराम से किसी को मृत्यु से बचाने हेतु सामना हुआ तो अपने आराध्य पर शस्त्र उठाने के बजाय उन्होंने प्रभु श्रीरामजी का नाम ही जपना शुरू कर, सफलतापूर्वक समस्या पर विजयश्री प्राप्त कर ली। इस तरह सफलता प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित भी कर दिया। इसी तरह हमें भी बिना विचलित हुए अपने कार्य को भगवान हनुमानजी की तरह सम्पादित करने की प्रवृत्ति को विकसित करने का प्रयास करते रहना चाहिए। जैसे भगवान हनुमान (एकमात्र ऐसे देवता) समस्या से परेशान होते ही नहीं हैं, बल्कि शान्त चित्त से प्रभु श्री रामजी का नाम लेकर समाधान की ओर ध्यान लगाते हैं तथा अन्त में हमेशा सफल होते हैं।

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