भारत-जापान सार्थक संवाद

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* जापान के नए प्रधानमंत्री फ्यूमियों किशिदा ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना, यह अपने-आपमें महत्वपूर्ण है। भारत और जापान के बीच कुछ दिन…

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पारस्परिक सद्भावना जागृत की चैतन्य महाप्रभु ने

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** वैष्णव सम्प्रदाय के अन्तर्गत गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त,भक्ति योग के परम प्रचारक चैतन्य महाप्रभु का जन्म फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (१८…

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स्वर्ण प्राशन:अत्यंत लाभकारी लुप्त विधा को पुनर्जीवित करने की जरूरत

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************** आयुर्वेद में सोलह संस्कारों का विधान है,जिनमें से एक है-जात कर्म संस्कार,जिसके अंतर्गत स्वर्ण प्राशन करवाया जाता है। बच्चे के जन्म के समय किया जाने वाला यह संस्कार…

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गाय की रक्षा एवं पूजन हमारा धर्म

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)***************************************** पशुओं का ध्यान रखने के अलावा गाय का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। गाय का (गोधूलि वेला ) जंगल से घर वापस लौटने का संध्या का समय…

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यूक्रेन पर हमला:‘नाजीवाद’ और ‘नवनाजीवाद’ की लड़ाई ?

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** आज जबकि हम दुनिया में २ महाशक्तियों के वर्चस्व की लड़ाई में एक और हँसते-खेलते देश यूक्रेन को बर्बाद होते देख रहे हैं तथा इस थोपे गए…

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यूक्रेनः भारत पहल क्यों न करे ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर भारतीय लोगों की नजरें शुरु से गड़ी रही हैं लेकिन १ भारतीय छात्र की मौत ने देश के प्रचारतंत्र को हिलाकर…

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मातृभाषा अर्थात स्वभाषा का महत्व

डॉ. विजय कुमार भार्गवमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************ स्वतंत्रता सैनानियों ने अपना बलिदान इसलिए दिया था कि उनका देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होकर आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बने। उसके लिए उनका मानना…

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शिव यानि कल्याणकारी

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** शिवरात्रि विशेष.... यह शाश्वत सत्य है कि हम दुनिया में मानव रूप में आए हैं तो जग कल्याण हमारा धर्म है। कल्याण करना एक शाश्वत सत्य है।…

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पद-प्रभाव का दुरूपयोग विचारणीय

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** प्रजातंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों को विधायिका मानते हैं,उनके अधीनस्थ कार्यपालिका निश्चित रूप से उनकी सहायता करने,उनकी मंशाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध होती या रहती है।…

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भारत:सच्चा लोकतंत्र लाने में देर नहीं

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* दुनिया के किन-किन देशों में कैसा-कैसा लोकतंत्र है,इसका सर्वेक्षण हर साल ब्लूमबर्ग नामक संस्था करती है। इस साल का उसका आकलन है कि दुनिया के १६७ देशों…

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