माता रानी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************************************* माता रानी तुम ही मेरा,बेड़ा पार लगाना।कब से बैठा हूँ दर पे माँ,थोड़ा प्यार बहाना।। मैं तो खाया हूँ माँ अम्बे,बहुत जहां में ठोकर।अब मैं…

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गुरुवर वाणी

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* यदि आप नहीं होते, तो…(शिक्षक दिवस विशेष).... चरण कमल पर पाँव धरू मैं। शत-शत वंदन नमन करूँ मैं।शिक्षक मानव जीवन गढ़ता। नित पथ पर बालक है…

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जीवन की बगिया

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************* जीवन की बगिया को यारों,रखना हरदम हरियाली।फूल खिलेंगे रंग-बिरंगे,आएगी फिर खुशहाली॥ प्रेम प्यार से इसे सींचना,कभी न मुरझाने पाये।पतझड़ का मौसम आये भी,ये बहार बनकर…

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मैला आँचल कभी न हो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* इस माटी की चरण वन्दना, हम सब मिलकर गाते हैं। अश्रु नीर से पग प्रक्षालन, माथे तिलक लगाते हैं॥ वसुंधरा माँ के आँचल को, आज…

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झरने सारे कहते सुंदर बात

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* निर्झर बहते झरने सारे, कहते सुंदर बात है।भव्य प्रकृति ने दी हमको, अनुपम शुभ सौगात है॥ वृक्ष वादियाँ शान बढ़ाते, श्रेष्ठ दिव्य श्रंगार हैं।हरियाली पर आँच…

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पग-पग रिश्ते सदा निभाते

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) *******************************************  मित्रता और जीवन .... मित्रगणों का साथ अगर हो, शुभ जीवन हो जाता है।सुरभित होता जीवन इनसे, हृदय भाव मुस्काता है॥ सुख-दु:ख हो अरु विपत घड़ी…

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सावन की रुत

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** रचनाशिल्प:१६/१४... सावन की रुत आई देखो,नव उमंग उर आई है।सबके उर आनंद हिलोरें,खुशियों से हरषाई है। देख मही पर फसलों की अब,सजती सुन्दर क्यारी है।झरने…

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मंगल कारक शिव शंकर

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:२३ वर्णों का छन्द-७ भगण (ऽ।।) और २ गुरुओं का योग,भगण ×७+२ गुरु, १२-११ वर्ण पर यति ४ चरण समतुकान्त। २११ २११ २११ २११, २११ २११…

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हरीतिमा हर दिशा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा भार -२८, १६-१२ पर यति, पदांत २२ वर्षा आई रिमझिम-रिमझिम,ले आई हरियाली।सावन के स्वागत में देखो,झुकी फलों से डाली॥ घटा घनन-घन घिर-घिर आए,चम-चम चपला चमके।झम-झम…

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सावन बरखा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:१४ मात्रा (४ ४ ४ २) सावन बरखा आई है।शीतल जल भर लाई है॥नभ में बादल छाए हैं।पानी भर कर लाए हैं॥ तड़-तड़ बिजली चमके है।सुनकर…

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