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माघ-स्नान वृत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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पावन बहुत प्रयाग, चलो करें वंदन अभी।
गुंजित सुखमय राग, रहें हर्षमय हम सभी॥

कितना चोखा मास, कहते जिसको माघ हम।
जीवित रखता आस, हर लेता हर ओर तम॥

तीर्थ सुपावन नित्य, माघ माह की जय करो।
खिल जाये आदित्य, सदा नेहमय लय वरो॥

गंगा में हो स्नान, जीव करे यश का वरण।
मिलता नित उत्थान, तीर्थराज में जब चरण॥

देता माघ सुताप, गंगा माँ की जय करो।
करो तेज का माप, पापों का सब क्षय करो॥

करना चोखे काम, कहे माघ का माह नित।
पूजन सुबहो-शाम, करता सबका नित्य हित॥

देती है आलोक, माघ माह की चेतना।
परे करे सब शोक, हर लेती सब वेदना॥

गाओ मंगलगीत, माघ माह कहता हमें।
प्रभु बन जाएँ मीत, सुमिरन करना नाथ को॥

जीवन हो आसान, छँट जाता सारा तिमिर।
बढ़े भक्त का मान, बस जाता पावन शिविर॥

गंगाजल की शान, कहता शब्द प्रयाग नित।
पूर्ण सभी अरमान, सबको फल मिलता उचित॥

आओ ऐ संतान!, गंगा का जल कह रहा।
युग-युग से गतिमान, पावनता ले बह रहा॥

कल्पवास में सार, कभी न तजना धर्म को।
फैलेगा उजियार, समझो सारे मर्म को॥

आशीषों में वेग, भक्त समझता दिव्यता।
करो धर्म के नेग, हर पल होगी भव्यता॥

कभी न करना पाप, वरना सब मिट जायगा।
जीवन होगा शाप, जो नहिं धर्म निभायगा॥

कहता हमसे माघ, बन जाओ मानव सरल।
यदि तुम होगे घाघ, तो पीना होगा गरल॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।