तुम बिन अधूरे हम
दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* चाहे खुशियाँ हों या ग़म,सदा रहेंगे हम संग-संगछोड़ कर मुझे जाना नहीं,तुम बिन न रह पाएंगे हम।बस इतना तुम जान लो,तुम बिन अधूरे हैं हम सनम…॥ चाहे…
दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* चाहे खुशियाँ हों या ग़म,सदा रहेंगे हम संग-संगछोड़ कर मुझे जाना नहीं,तुम बिन न रह पाएंगे हम।बस इतना तुम जान लो,तुम बिन अधूरे हैं हम सनम…॥ चाहे…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ दृष्टि कब बदलोगे ?जमाना भी बदल गयाझूठों के सामने क्या देखते हो ?सच के दर्पण में भविष्य है। चारों ओर अंधियारा छाया,लोभ-मोह-लालच में इंसान घिराउसे…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* समय के साथ,सब-कुछ बदल जाता हैरूप, रंग, तन, मन, धन। क्या स्वभाव बदल जाता है!हाव-भाव बदल सकता हैबात और लहजा बदल जाता है। शायद यही हकीकत…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** खुद स्वीकारी पाकिस्तान ने बातें यह,प्रायोजित आतंकवाद का अपना सहभारत हमले में गया आतंकी किला ढह,'आपरेशन सिंदूर' से हिंदुस्तान ने की फतेह। अब होगा सिंधु…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** रफ्ता-रफ्ता ज़िंदगी की राह पर चलता रहा,हर कदम पर मेरा अपना ही मुझे छलता रहा। किससे करने जाएँ शिकायत, कौन सुनेगा मेरी ?जब मेरे अपनों ने, इज्जत…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सावित्री ने तप किया, पति के रक्षित प्राण।नारी रखें सतीत्व तो, पति का हो कल्याण॥ बरगद का वह पेड़ था, आये थे यमराज।सावित्री के तेज पर,…
सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** हे हरि !बहुत दिनों से बैचैनतुम्हारी बाट जोह रही हूँ,जैसे शबरी की तड़पती आशाजैसे विदुर की गहन प्रत्याशा। हे हरि!तुम मेरे सपनों में आना,तुम आना…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** ख़ुदगर्ज़ सब रफीक फरामोश हो गए।कुछ वक़्त के साए में भी बेहोश हो गए। महफिल में उनके आने की चर्चा सुनी मैंने,हम तो उसी खबर…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तब पीड़ा नहीं होती,जब मैं अकेले में रोती हूँचोट तब लगती है जब,अकेले में जश्न मनाती हूँ। तब दर्द नहीं होता,जब मैं अकेले सो जाती हूँकष्ट…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कहीं किसी दिन फुरसत के पल,हम प्रेमी युगल इरशाद करेंरस पान नशीली ऑंख चपल,हम साथ बैठें, संवाद करें। अनुभूति प्रीत आह्लादित मन,हमदम गुलशन गलहार…