होली चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- याद करें प्रल्हाद को,भले भलाई प्रीत। तजें बुराई मानवी,यही होलिका रीत॥ चौपाई- हे शिव सुत गौरी के नंदन। करूँ आपका नित अभिनंदन॥ मातु शारदे वंदन…

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बिखरे रंग

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** होली के त्यौहार में,देखो बिखरे रंग। जगह-जगह पर धूम है,गले मिले हैं संग॥ नीली पीली लालिमा,रंगों की बरसात। जमीं आसमां लाल है,दिल तो…

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पसीने की पुकार

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** चलते हुए राह पर हमने सुना एक बड़ा चमत्कार, झलकी बूँद भाल पर जल की पसीने ने की एक पुकार। गिरने मत देना यूँ ही…

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कविता का जन्म

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** अबाध गति से अनजाने में, निशब्द भावनाओं का प्रवाह मानस पटल पर अंकित कुछ, अनबोले और अनछुए असंख्य विचार कल्पना का, मंथन कर उद्धेलित करते…

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रंग ले के आयी होली

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** रंग ले के आयी होली,अँखियों से मारे गोली। गोरियों की भींगे चोली,रंग की फुहार में। जिसका भी देखो गाल,रंग से रँगा है लाल। टोली…

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भीगे तन-मन

दौलतराम प्रजापति ‘दौलत’ विदिशा( मध्यप्रदेश) ******************************************** हँसी-ठिठोली प्यारी बोली। आओ मिलकर खेलें होली। प्यार मोहब्बत सदभावों से, रंगों जैसी बने रंगोली। पिचकारी की पड़ें फुहारें, भीगे तन-मन दामन चोली। फ़ाग गली…

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दुश्मन भी गले मिल जाते हैं

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ये भारत की धरती है दोस्तों, जहाँ सब मिल होली मनाते हैं। क्या तेरा-क्या मेरा यहाँ पर, दुश्मन भी गले मिल जाते हैं। इंद्रधनुषी…

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उड़ान…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** भौतिक जग में कब हुई, सुख से ही पहिचान। मन मेरा भरता रहा, नित-नित नवल उड़ान॥ मन रे थोड़ा रुक जरा, अपने को पहिचान। काहे…

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श्याम की दीवानी हुई

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- (रचना शिल्प: वार्णिक छंद ८८८७-३१) श्याम की दीवानी हुई, प्रेम की कहानी हुई, पैरों में घुँघरू बाँध, नाचती ही जाये है। कान्हा जाये मिल…

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निकाल दिया दिल से तुम्हें..

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** तेरी उस अदा का हूँ मैं आज भी दीवाना, भूल नहीं सकता तेरा वो खूबसूरत मुस्कुराना। हाँ सच में बस तुझे ही निहारना था मेरा…

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