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निकाल दिया दिल से तुम्हें..

शिवांकित तिवारी’शिवा’
जबलपुर (मध्यप्रदेश)

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तेरी उस अदा का हूँ मैं आज भी दीवाना,
भूल नहीं सकता तेरा वो खूबसूरत मुस्कुराना।

हाँ सच में बस तुझे ही निहारना था मेरा काम,
साँसें भी मैंने अपनी कर दी थी तेरे ही नाम।

मैंने अपनी जिन्दगी का सबसे खूबसूरत गुनाह किया था,
तभी तो सौंप दी थी जिंदगी तुम्हें और,तुमने बस मुझको तबाह किया था।

तुमने जो किये थे वादे और खायी थी जो कसमें,
मैंने तो उन्हें किया था पूरा और निभाई थी सारी रस्में।

तुम्हारा वो चेहरा बदलने का हुनर लाजबाब था,
मेरा काम बस इश्क करना जो तुमसे बेहद बेहिसाब था।

तुम्हारी कही हुई हर बात पे आँख बन्द विश्वास करता था,
सच में पागल था प्यार में तुम्हारे,बस तुम्हें खोने से डरता था।

बेखौफ हो के तुम मुझे यूँ लूट रही थी,
कि मैं बस जिंदा दिखता रहा,मगर साँस टूट रही थी।

रंगत बदल गयी थी मेरी तुम्हारी संगत पाकर,
कि जैसे इश्क़ की मेंहदी अब धीरे-धीरे छूट रही थी।

खुद का ध्यान ही न था इतना धुत्त था तुम्हारें प्यार में,
कई हफ्ते बिना सोये ही गुजार देता था तुम्हारे इन्तजार में।

खुदा मान बैठा था तुम्हें जैसे अब जीना तुम्हारे बिना आसान नहीं,
निकाल दिया दिल से तुम्हें, तुम अब प्यार के काबिल नहीं॥

परिचय–शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।

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