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बिखरे रंग

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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होली के त्यौहार में,देखो बिखरे रंग।
जगह-जगह पर धूम है,गले मिले हैं संग॥

नीली पीली लालिमा,रंगों की बरसात।
जमीं आसमां लाल है,दिल तो है आघात॥

वन भी दुल्हन-सा सजा,ढाँक हुए हैं लाल।
कली-कली में फूल है,बिखरे रंग कमाल॥

उड़ती देखो तितलियाँ,फूलों की है चाह।
बिखरी हैं रंगीनियाँ,है किसको परवाह॥

सभी जगह बिखरे हुए,कितने प्यारे रंग।
आज खुशी में नाचते,मेरे सारे अंग॥

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