पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ,अपने घरों में…संघर्ष की जलाती हैं,अनूठी मशाल….। रोशनी से दीप्त, पर्वत की श्रृंखलाओं में,बांध देती हैं, मन की सारी भंगिमाएंबिखरा कर अल्कों की तन्हाई को,तृषित नयनों से बैठ…पर्वत की उप्तकाओं में उगे,फूलों के मकरंद को अंजुली में,भर…मुस्कुराती हैं, गाती हैं, प्रियतम के,आवाहन गीत…। पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ,देह … Read more