समाज मौन है और मैं भी…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आपाधापी मृगतृष्णा का, भागमभागी अविरत पथ है।किसकी चिन्ता किसको चिन्ता मौन आज सामाजिक मठ हैजान और पहचान वृथा सब,है अपनापन रिश्तों का गम,कहाँ सत्य…