पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ,अपने घरों में…संघर्ष की जलाती हैं,अनूठी मशाल….। रोशनी से दीप्त, पर्वत की श्रृंखलाओं में,बांध देती हैं, मन की सारी भंगिमाएंबिखरा कर अल्कों की तन्हाई को,तृषित नयनों से बैठ…पर्वत की उप्तकाओं में उगे,फूलों के मकरंद को अंजुली में,भर…मुस्कुराती हैं, गाती हैं, प्रियतम के,आवाहन गीत…। पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ,देह … Read more

गाँव की नारी

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** माटी की गंध,ओस पर भी चलेंउगे सूरज। घूँघट नीचे,सपने हैं गहरेमुस्कान खिली। हाथ मेंहदी,संग हल की धुनधरा मुस्काए। नदी किनारे,घड़ा भी मुस्कुराएसाँझ उतरी। धूप तपती,मन में ठंडी छाँवगाँव की नारी। माटी की गोद,सपनों को सींचतीगाँव की नारी। तन हलका,आँखों में है उत्साहसाहसी मन। रास्ते पर है,पायल की झंकारगीत जोशीले। ओस-से पाँव,भोर की … Read more

मातु अहोई वंदना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* पर्व अहोई अष्टमी, कृष्ण कार्तिकी मास।मातु अहोई वन्दना, माँ रखती उपवास॥ दीर्घायु जीवन सुखी, हो निरोग सन्तान।दया क्षमा करुणा चरित, बढ़े वंश यश मान॥ लघु से लघुतर जीव भी, रक्षणीय संसार।पीड़ा हो परवेदना, मददगार उद्धार॥ सप्तवधू सतपुत्र की, पुण्य कथानक पर्व।पुत्र हीनता दुख सहे, परहित अर्पित सर्व॥ शिशु गरुड़ … Read more

क्यों पलकें भिगोना

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* महसूस करे दिल तो क्यों पलकें भिगोना है।जब अश्क पिये दिल तो बेकार का रोना है। मायूस रहे दिल तो नजरें भी रहें गम में,पर अश्क बहा के तो कमजोर ही होना है। हैं अज्म बड़े दिल में दर भी ये खुदाई का,सम्मान रहे जिनसे मोती वो न खोना है। … Read more

लगे सुंदरी नार

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* कंगन हाथों में सजे, लगे सुन्दरी नार।चमक रही नवयौवना, खुश करती भरतार॥ पायल पहने कामिनी, छन-छन करती चाल।हिय में उठती हूक सी, हाल करे बेहाल॥ बिंदिया सजती भाल पे,भरे माँग सिंदूर।करती सभी सुहागिनें, अलंकरण भरपूर॥ काजल आँखों में लगा, करे नैन कजरार।मृगनयनी बनके करे, आकर्षित हर नार॥ बिंदी पायल कंगना, … Read more

मन की आँखें

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ छुपाए बैठी हूँ भोलेपन को आँचल में,बडी मासूमियत से दूसरों को देखती हूँ। बुरा कोई भी नजर आता नहीं,पर बाद में उनके करतब देखती हूँ। आसक्त हूँ मान्यताओं और संस्कारों से,आचरण में भी अभिव्यक्त देखती हूँ। कभी-कभी मन के अक्षांश से उतर कर,तन पर कुटिलता भरी नजर देखती हूँ। छल-कपट भरी दुनिया की … Read more

अंधविश्वास से केवल हानि

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जादू-टोना कुछ नहीं होता है, केवल यह है अंधविश्वास,अनपढ़, मूर्ख लोग ही, करते इस पर भरोसा, रखते आस। तंत्र-मंत्र है बेमानी सब, जान लो, इसमें कुछ नहीं रखा,हानि होती है केवल ही, जिसने अंधविश्वास को है गहा। गाँव-गाँव में तांत्रिक-मांत्रिक, मिलते नित जाल बिछाये,वहीं भुगतता जो झाड़-फूँक के अंधविश्वास में है … Read more

गिरता जाता मानव मन

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डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गिरता जाता मन मनुज, भुला रहा कर्त्तव्य।किसको चिन्ता देश की, सबका निज मन्तव्य॥ कार्य पूर्व परिणाम को, कौन करे अब सोच।फँसा लालची कपट छल, कहाँ पाप संकोच॥ कहाँ आज अवकाश है, अध्ययन शास्त्र पुराण।धर्म न्याय बदले क्षणिक, बनते न्याय प्रमाण॥ धर्म जाति छींटाकशी, अब आदत अधिकार।बस अनर्थ स्वागत करे, … Read more

अमर सुहाग हो

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उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** हर सुहागन का अपना अमर सुहाग हो,आँगन चंद्रमा और गणेश का वास होमेरे माथे सिंदूर पति के नाम सजा हो,हाथ मेंहदी भरा, लाल चूड़ियों भरा होईश्वर का आशीर्वाद सदैव मेरे साथ हो। अमर मेरा पति, सदैव सुहागन मैं रहूं,करवाचौथ का व्रत हर साल मैं करूँकरवा में अंजुली भर पोहा रेवड़ी … Read more

यह ज़िंदगी रुकने न पाए

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कुछ लम्हों की दुर्लभ दुनिया, यह ज़िंदगी रुकने न पाए,मिले वक्त कर्त्तव्य निभाने, कदम राहें रुकने न पाएकहाँ नहीं मुश्किलें ज़िंदगी पंछी तूफ़ानों से डर जाएँ,पंख खोल उन्मुक्त व्योम में, क्या उड़ान भरने न पाएँ। राहें हों पाषाण नुकीले ठोकर खा गिरने न पाए,घाटी दर्रों नदियों जंगल हर विघ्न … Read more