राधा आओ

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प: मात्रा भार १४ ओ! राधा आओ प्यारी,निकसो तो महल दुआरी!ले अबीर कान्हा खड़े हैं-सँग में है सखियां सारी!! धूम मची बरसाने में,वेणु बुलाये गाने में!श्याम रंग रंगी राधा-रंग बचती बहाने में!! हरे लाल गुलाल पीली,कोई ले कर रंग नीली!कान्हा की पिचकारी से,भीग गयी श्याम छबीली!! परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ … Read more

इंसानियत का हो हमेशा भला

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* खुद पर इतना भी गुमान अच्छा नहीं होता,सौ साल का भी सामान अच्छा नहीं होता।छोटी सी जिंदगी हँस कर गुजार दें-इतना लश्कर तमाम अच्छा नहीं होता॥ तप कर बनो सोना तुम,बस खुद्दार बनो,करते रहो मूल्यांकन जीत के हक़दार बनो।खुद को बदलो तो हालात बदल जायेंगे-प्रसन्न रहो और जिन्दगी के वफ़ादार बनो॥ हर … Read more

नज़र

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ रचना शिल्प:मात्रा भार १८,१९,२१,१९ नज़रों का इशारा जो मिल गया,दिल मेरा बहारों-सा खिल गया।रौशन शमा रही रात रात भर-वो क़यामत थी,रूह से हिल गया॥ क़यामत नज़र जवाब क़रारा था,उनका इकलौता ही सहारा था।हम जीते भला किसके साथ सनम-वो मेरा शबे ग़म का सुकून था॥ ऐसी नज़र से देखा लुट गये हम,इश्क़ की राहों … Read more

जो सहते दर्द,वो बनते भगवान

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* बिना ऊँचा उठे कभी आसमान मिलता नहीं है,बिन कर्म कभी जीत का ईनाम मिलता नहीं है।भक्ति सेवा से ही मिलती कृपा ईश्वर की-बिन दिल जीते कभी सम्मान मिलता नहीं है॥ सभी पत्थर होते दिखते एक समान हैं,गूंगे-बहरे और साथ ही होते बेजुबान हैं।प्राण-प्रतिष्ठा और पूजन से बस जाते हैं ईश्वर-जो सहते दर्द … Read more

सर्वदा साथ मिलकर रहें

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ********************************** कयामत की देवी कयामत न ढहाओ,कयामत से दुनिया बिखर जाएगीकयामत खिलाफत बगावत अदावत,करोगे तो दुनिया ये मर जाएगी।चलो साथ मिलकर ये दुनिया बचायें,बचायें प्रकृति और पावन जहाँ को-‘अवध’ सर्वदा साथ मिलकर रहें तो,बिखरती ये दुनिया निखर जाएगी॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, … Read more

न बाँटो हमें

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** दर्द हमसे जिगर में न पाला गया,छीन उसका लिया क्यों निवाला गया।जो स्वयं एक उन्नति की बुनियाद है-उसको मुद्दा बनाकर उछाला गया॥ जाति व धर्म में तुम न बाँटो हमें,स्वार्थ में वृक्ष-सा तुम न काटो हमें।चाहते जो बनाना सियासत का घर-नींव के खंजडे़ सा न पाटों हमें॥ परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक … Read more

शरद ऋतु का बस अंत ‘बसंत’

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* शरद ऋतु को करके प्रणामअब खुमारी-सी छाने लगी है,लगता है ऋतु राज़ बसंत कीरुत अब कहीं आने लगी है।माँ सरस्वती का आशीर्वाद तोअब पाना है हम सबको-मन की पतंग भी अब खुशियोंके हिलोरे खाने लगी है॥ पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा अबखिला-खिला-सा तकता है,धवल रश्मि किरणों-सा अबसूरज जैसे जगता है।मौसम चक्र में मन भावन-सापरिवर्तन अब … Read more

प्रकृति क्रुद्ध

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************ भारत देश,विरोध का विरोध-न परदेश। प्रकृति क्रुद्ध,ग्लेशियर टूटा-मन न शुद्ध। उन्हें सुविधा,मरे श्रम श्रमिक-न ही दुविधा। परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैL २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंL वर्तमान तथा स्थाई पता शाहजहांपुर ही हैL उत्तरप्रदेश निवासी श्री मिश्र का कार्यक्षेत्र-प्रवक्ता(विद्यालय टनकपुर-उत्तराखण्ड)का हैL सामाजिक गतिविधि के लिए हिन्दी भाषा के … Read more

लंदन तक थर्राता था

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*************************************** आदर्शों के साँचे में वो,सहज सरल ढल जाता था,किन्तु तनिक त्योरी चढ़ती तो,लंदन तक थर्राता था।जिसने सत्य-अहिंसा को अपना हथियार बना डाला-ऐसा पुण्य विलक्षण जीवन,सबके मन को भाता था॥ परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक … Read more

जैसी करनी वैसी भरनी

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* आज आदमी अनगिनत चेहरे लगाये हज़ार है,ना जाने कैसा चलन आ गया व्यवहार है।मूल्य अवमूल्यन शब्द कोरे किताबी हो गये-अंदर कुछ अलग कुछ आज आदमी बाहर है॥ जैसी करनी वैसी भरनी,यही विधि का विधान है,गलत कर्मों की गठरी लिये घूम रहा इंसान है।पाप-पुण्य का अंतर ही मिटा दिया है आज-अहंकार से भीतर … Read more