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राधा आओ

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रचना शिल्प: मात्रा भार १४

ओ! राधा आओ प्यारी,
निकसो तो महल दुआरी!
ले अबीर कान्हा खड़े हैं-
सँग में है सखियां सारी!!

धूम मची बरसाने में,
वेणु बुलाये गाने में!
श्याम रंग रंगी राधा-
रंग बचती बहाने में!!

हरे लाल गुलाल पीली,
कोई ले कर रंग नीली!
कान्हा की पिचकारी से,
भीग गयी श्याम छबीली!!

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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