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इंसानियत का हो हमेशा भला

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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खुद पर इतना भी गुमान अच्छा नहीं होता,
सौ साल का भी सामान अच्छा नहीं होता।
छोटी सी जिंदगी हँस कर गुजार दें-
इतना लश्कर तमाम अच्छा नहीं होता॥

तप कर बनो सोना तुम,बस खुद्दार बनो,
करते रहो मूल्यांकन जीत के हक़दार बनो।
खुद को बदलो तो हालात बदल जायेंगे-
प्रसन्न रहो और जिन्दगी के वफ़ादार बनो॥

हर दिन इक नई शुरुआत होती है,
उम्मीद की नई लौ गुलज़ार होती है।
दुनिया खत्म होने जैसी तो कोई बात नहीं-
हौंसलों की जीत बरकरार होती है॥

मेहनत व्यर्थ नहीं परिणाम लेकर आती है,
तेरी अच्छाई भी ईनाम लेकर आती है।
कोशिश करो हमेशा किसी के काम आ सको-
भलाई सदा मन का आराम लेकर आती है॥

जिन्दगी में कम-ज्यादा का मलाल मत करना,
हर कोशिश जीवन में जरूर तमाम करना।
चिराग-सी तासीर रखो सदा जीवन में-
इंसानियत का हो भला बस वो काम करना॥

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