निराला जीवन

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** निराले हम,हर घड़ी में हॅंसेराहें हैं तकी। ये संसार जो,बदलता चेहरामन है प्यारा। जीवन धुनें,मंद हैं कभी तीखीहैं ये मधुर। मेरा जीवन,धूप-संग चलताहृदय जागे। रंगी जीवन,सपने का छोर है,फिर भी आशा। पगों में रंग,कोई फीका है तेज,हसीन दिन। बहते हम,अदृश्य हैं ये धारें,फिर भी हँसे। चन्द्र हसीन,मेघों-सा बदलताजीवन हसीं। साँसों की गूँज,कभी … Read more

त्योहार के बाद का खालीपन

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** दीपक बुझे,धुआँ खोता खुशबूरात रो पड़ी। रंग उतरे,आँगन सूना बोलादम ठिठके। छत अकेली,एक दीया है बुझास्मृति चमकी। सड़कें सूनी,ढोलक गूँज गईधूल ही नाची। पेड़ों के नीचे,गिरे कागज़ फूलमौन बिछा है। मीठी बातों का,स्वाद है फीका पड़ाचाय अकेली। बदले बच्चे,फुलझड़ियाँ सोईंआँगन ठंडा। शहर थका,बिजली सुस्त हुईनींद गहरी। मन खाली है,जैसे गीत अधूरासुर भटके। … Read more

गाँव की नारी

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** माटी की गंध,ओस पर भी चलेंउगे सूरज। घूँघट नीचे,सपने हैं गहरेमुस्कान खिली। हाथ मेंहदी,संग हल की धुनधरा मुस्काए। नदी किनारे,घड़ा भी मुस्कुराएसाँझ उतरी। धूप तपती,मन में ठंडी छाँवगाँव की नारी। माटी की गोद,सपनों को सींचतीगाँव की नारी। तन हलका,आँखों में है उत्साहसाहसी मन। रास्ते पर है,पायल की झंकारगीत जोशीले। ओस-से पाँव,भोर की … Read more

रत्न संस्कृति

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* विश्व विशालविभिन्नता से भरीरही संस्कृति। भारतवर्षअमूल्य धरोहररत्न संस्कृति। योग नियमसंयमित जीवनदीर्घ संस्कृति। कर जोड़तेबने नमस्ते मुद्राऐसी संस्कृति। आदरणीयसदा बडे़-बुजुर्गश्रद्धा संस्कृति। अनुज स्नेहसिंचित हो आचारसीख संस्कृति। तप उत्तमत्यागे जी कुविचारशिक्षा संस्कृति। दीन बंधुत्वआशा जगे संसारदया संस्कृति। हो सदाचारअतिथि का सत्कारभाव संस्कृति। रक्षाबंधनबहन-भाई का प्याररीति संस्कृति। समर्पण होदेव आस्था बढ़ाओसीख संस्कृति। सत्य … Read more

करो सबका भला

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** हे एकदंत,तुम सबकी आसहे दयावंत। गौरी के लाल,करो सबका भलाकरो कमाल। है भुजा चार,बरसाओ न कृपालीला अपार। स्वागत करें,चढ़े पान-सुपारीमोदक धरें। मूषकधारी,संसार को चाहिएदया तुम्हारी। भक्तों की सुनो,खुशियाँ बरसाओपाप को हरो। आप विशेष,करूँ नित पूजनचाहूं न क्लेश। पूजूँ चरण,हर लो हर कष्टदेना शरण। देना खुशियाँ,सबका प्रेम रहेबने दुनिया। हे विघ्नहर्ता,आशीष देना … Read more

बेड़ियाँ तोड़ी

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** राजा राममोहन राय जन्म जयन्ती (२२ मई) विशेष.. राजा निराले,राममोहन रायबेड़ियाँ तोड़ी। सती प्रथा थी,जलती थी महिलाकुरीति तोड़ी। अमर हुए,समाज का संबलमुक्ति दिलाई। अद्भुत राजा,सदा प्रजा हितैषीबने आवाज़। किया प्रहार,जकड़ी थी प्रथाएँतोड़ी दासता। बने मसीहा,किए बड़े सुधारमहामानव। सोची भलाई,ये बुराई से लड़ेथे अवतार। कभी न झुके,योद्धा थे क्रांतिकारीदिखे सुधार। जान लगा … Read more

पृथ्वी की रक्षा कर्तव्य

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* ‘विश्व पृथ्वी दिवस (२२ अप्रैल)’ विशेष… कहती पृथ्वीपर्यावरण दिनमानव जागे। उचित होगासंरक्षण करनाप्रत्येक दिन। दूषित करेनदियाँ जलाशयसोचता नहीं। उजाडे़ वनवृक्ष काटते सदाप्रगति नाम। बाढ़ बढा़एतूफा़न भी भीषणपाए हताशा। वर्षा गले जो,बदले तापमानमानव त्राहि। करे दुहाईसोचे नहीं मानवआए विपदा। रोको जी क्षतिअपनी जीव दुर्गतिकरो प्रगति। वृक्ष लगाओहरियाली बढा़ओहानि हो कम। प्रकृति … Read more

भूलना मत इनको…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव जयंती (२३ मार्च) विशेष… किया अर्पित,तन-मन देश कोहै बलिदान। भूलना मत,यादें इतिहास मेंआज ‘भगत।’ देश पहलेसोचा भगत सिंहमिली आजादी। ‘सुखदेव’ क्यों,याद नहीं देश कोये हिंदुस्तान! जान लुटाई,आज़ादी शंखनादरखना याद। भारत गढ़,योगदान सबकाथा अनमोल। फिर बनाओ,भगत सिंह कोईदेखे जो देश। हो ‘सुखदेव’,करे बात सबकीऐसा हो वीर। कैसे भूलेंगे!‘राजगुरु’ थे वीरअमर … Read more

उनके हों लें

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** जो हैं हमारे,हम उनके हों लेंये सच्ची होली। जिसको है बैर,उससे दूरी भलीकरो न संग। रंग प्रेम का,हर मन चढ़ानामन हो साफ। खेलो यूँ होली,खिल जाए ये दिलजीवन साथी। मनाएँ पर्व,झूमें सब दिल सेहोता है गर्व। सूखा न रहे,रंग दो आज इन्हेंरंगों का ताज। गोरी जो मिले,रंगना रूह उसकीभूले न मन। … Read more

महकाती आँगन

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)…. संसार ‘नारी’,महकाती आँगनहै अनुपम। ‘नारी’ से जग,हर ख़ुशी त्योहारघर श्रृंगार। ‘नारी’ ममता,नारायणी है नारीहै समर्पण। ‘नारी’ रूप माँ,बहन-सुता-वधूमूर्त निःस्वार्थ। ‘नारी’ है प्रेम,सुकून का आँचलअति दुर्लभ। ‘नारी’ है शक्ति,संभाले सब-कुछवात्सल्य मूर्ति। ‘नारी’ सर्वत्र,प्रतिष्ठा दो कुल कीबन कल्याणी। ‘नारी’ बिन क्या,महिला जग धुरीतत्व अस्तित्व। ‘नारी’ है मान,बचाना … Read more