पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** शीतल छाँव जो देते थे, उन सब वृक्षों को काट दिया,नीलगिरी के पेड़ों से सारे उपवन को पाट दियानीलगिरी या कहो यूकेलिप्टस, दोनों एक पेड़ के नाम,न…

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क्योंकि, ज़िन्दगी दोबारा…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ खुशबू की तरह महकता है यह जहां,इसे सिर्फ पहचानने की जरूरत हैज़िन्दगी के रंग-बिरंगे रंगों मेंहमें खो जाने की जरूरत है,क्योंकि, ज़िन्दगी दोबारा इतनी हसीं…

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दमन

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* तब मैं बहुत छोटी थी…मैंने अपनी बड़ी बहिन को देखा था,शादी के बादवह गुमसुम, चुपचुप-सी रहती,रातभर करवटें बदलती रहतीमगर सुबह…सबसे खिलखिला कर मिलती,खूब हँस-हँस कर बात थी…

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इश्क़ नहीं तो क्या है!

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तेरी आँखों में डूब जाऊँ,पलकों पर सँवर जाऊँतेरी बाँहों मे सिमट जाऊँ,दिल में समां जाऊँ। तेरे माथे को चूम लूँ,तेरे गालों को छूकरअधरों की लाली चुरा…

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माता- पिता को नमन

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* मेरी जन्मदाता माता पूज्य पिता कोटि नमन,अपने पूज्य चरणों में, स्वीकारिए मेरा वन्दन। अभी भी याद है मुझे पिताजी का स्नेह, ममता,आप दया का सागर थे,…

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मॉं-बाप हैं देवता

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* आज 'माता-पिता दिवस' है, क्यों हम एक दिन मनाएं ?सारा जीवन हम सब इनका, साथ मिल के निभाएं। मॉं की गोद से बढ़कर,दुनिया में…

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सुहाना सफर

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* चल दिए हैं नए सफर में अनजाने से रास्ते,कोई तो अपना मिल जाएगा चाहे कठिन हो रास्ते। बाधाएं आती हर मंजिल में रूक न जाना ओर…

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इन्हें मत काटो…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ यह छोटी-छोटी क्यारियाँ,पौधों की यह वाटिकालगती है बहुत प्यारी,यह पौधे आज छोटे जरूर हैंपर कल यह पेड़ बनेंगे,पेड़ बन कर खूब तनेंगेहवा में झूमेंगे, नाचेंगे…

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नया सवेरा

डॉ. सुनीता श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)*************************************** सुनहरी किरणों का आलोक,हर दिशा में फैला सजीवउठो जागो नया सवेरा,लाया नई उमंग, नया प्रतीक। कलियों ने ओढ़ी चुनर हरी,पंछी गाएं नयी तानहरियाली से सजी धरती,जीवन…

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अजीब काल है

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** हे सूर्यदेव आप भरे ताप से मालामाल हैं,बिन पानी की धरती मैया दिखा रही अकाल हैमेघनाथ डर भागे हैं, गर्जन-वर्षा को तरसे अजीब काल हैहे…

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