…लो आया मौसम चुनाव का

डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्लइन्दौर (मध्यप्रदेश)****************************** सारा देश बना इन दिनों रंगमंच,नित नये चल रहे कौतुक सततपटाक्षेप भी हो पाता नहीं,कि शुरू हो जाता नया नाटक...लो आया मौसम चुनाव का!प्रत्याशियों की…

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चुनाव

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* पाँच साल बाद जब आता है चुनाव,सभी लगाने लगते हैं अपना-२ दाँवनैया सभी की डूब जाती है मझधार,किसी एक की ही पार लगती है…

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भारतीय मजदूर

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... मैं भारत का रहने वाला, भारतीय मजदूर हूँहमारी लाचारी नहीं, पेट के लिए मजबूर हूँ। भारत में मजदूरी का, कोई भी…

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दिहाड़ी मजदूर

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... अकेले बैठे सोच रहा था दिहाड़ी का मजदूर,आज का दिन तो निकल गया कल का क्या होगा ? घर से निकल…

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बहुत देर कर दी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** प्यार टेसू-सा,जो मौसम का रखताप्यार का हिसाब,यदि गुलाब-सा होताखुशबू बरकरार,किताबों में रखा फूलमहकता रहता,सूखने के बाद भीदूरियाँ यादों कीवाई-फाई,मगर देर हो चुकीचिड़िया चुग गई खेत। सपने बने…

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मजबूर नहीं, मज़दूर हूँ मैं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* मजबूर नहीं,मज़दूर हूँ मैंमेहनत की रोटी खाती हूँ। दिनभर तप कर,कस कर श्रम करबहुत थोड़ा कमाती हूँ मैं। रेती, गारा, ईंट और पत्थर,सिर पर ढोकर, जोड़-जोड़करघर,…

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श्रमिक की व्यथा

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... श्रमिक दिवस है आज,आप मुझ पर कविता लिखिएकहानी लिखिए, श्रम-दिवस मनाइए, भाषण सुनाइए। मैं कल जहाँ था, आज भी वहाँ हूँ,मेरी जिन्दगी…

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कुछ भी करने को मजबूर…

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... सुख-सुविधाओं सेकोसों दूर,पापी पेट की खातिरकुछ भी करने को मजबूर,होते हैं मजदूर। जहां मिले रोजी-रोटी,डालते वहीं रैन-बसेराश्रम के उपासक,कर्म के साधकविकसित…

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सरहदी बाशिंदे

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** माँएं रोती खून के आँसू,बाप बेचारे बिलखते हैंजब नन्हें-नन्हें बच्चे उनके,ललाट पर गोली खाते हैं। घरों के उड़ते तब परखच्चे से उनके,जब पाकिस्तानी बेवजह गोली चलाते…

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मैं मजदूर…

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... मैं मजदूर हूँ,क्योंकि मेरे सर पर छत नहींन मेरे पैरों के नीचे जमीन है,न खाने के लिए सूखी रोटी…

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