एतबार होता था

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** न होती थीं दिलों में रंजिशें, एतबार होता था।कभी तो बन्दगी होती, कभी मनुहार होता था। निगाहें बात करती थीं, पलक पर भार होता था।सँवर जाता…

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रू-ब-रू तुमको न देखा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* देखकर तस्वीर को हम, कुछ नहीं अब देखते।क्या कहें कैसे कहें हम, क्या कहाॅं कब देखते। कह नहीं सकते तमन्ना, बन रही है दिल में…

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अश्क तू लाना नहीं हरगिज़

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** ग़म अपने किसी को भी बताना नहीं हरगिज़।आँखों में कभी अश्क तू लाना नहीं हरगिज़। क्या आदमी की बात करें जब कि यहाँ पर,फ़रमान-ए-रब…

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कुछ शहद घोल

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** नीम से अपने अल्फाज़ को रोक लो।कुछ शहद घोल नाराज को रोक लो। आश उसकी न कर बेरहम है ये कल,बात ये है कि बस आज को…

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मुहब्बतों में इबादत

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* मुहब्बतों में सजी हो अगर इबादत भी।तो ज़िन्दगी में करेंगे ख़ुदा इनायत भी। बगैर प्यार के, कब ज़िन्दगी मुकम्मल हो,हरेक दिल को रहे, प्यार की…

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जय हिंद

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** शहीदों की लब पर कहानी रहेगी,तिरंगे में हरदम रवानी रहेगी। ये पंद्रह अगस्त की सुबह रूहानी,फिजा देश की अब सुहानी रहेगी। तिरंगा हमें जान से हमको प्यारा,नियत…

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जगमगा कर चले

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** सँभल कर कभी लड़खड़ा कर चले।हम अपनी थकन को हरा कर चले। चराग़ों-सा ख़ुद को जला कर चले।अँधेरों में हम जगमगा कर चले। न…

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नसीब मेरा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-हुआ, नुमा, सजा, कहा, भला, रहा, लगा, बुरा इत्यादि। रदीफ़-था नसीब मेरा... हसीन दिलकश मुहब्बतें थीं, मिटा हुआ था नसीब मेरा।यकीन होता अगर खुदी पर,…

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चलना हमें सिखा दे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-दिखा, सिखा, सजा, निभा, बता, पता, गिरा, बुझा, इत्यादि। रदीफ़-दे, २२१ २१२२ २२१ २१२२ ऐ ज़िन्दगी के मालिक, इसकी डगर दिखा दे।है रहगुज़र मगर तू,…

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जज़्बात दिवाने के

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-आने स्वर में, दिवाने, सजाने, उड़ाने, कराने, डुबान, बिताने, बहाने, इत्यादि; रदीफ़-के। अहसास बनाते हैं, जज्बात दिवाने के।हालात नहीं बनते, जज्बात सजाने के। मुमकिन हो…

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