‘मित्र’ रत्न को संजोकर अवश्य रखें
डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)********************************************** मित्रता और जीवन… मैत्री होती श्रेष्ठ की, बढ़ते चंद्र समान,ओछे की होती वही, घटते चंद्र समान।यानि कि, योग्य पुरुष की मित्रता बढ़ती हुई चन्द्रकला के समान है, पर मूर्ख की मित्रता घटते हुए चन्द्रमा के सदृश्य है।मित्रता में बार-बार मिलना और सदा साथ रहना इतना आवश्यक नहीं है, यह तो हृदय की एकता … Read more