मधुरभाष जीवन नशा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************** नशा सदा नव सीख का,नशा सदा परमार्थ।मधुर भाष जीवन नशा,नशा कर्म धर्मार्थ॥ नशा नार्य सम्मान हो,नशा भक्ति नित देश।समरसता मन नशा हो,प्रीति नशा उपवेश॥ मातु पिता सेवन नशा,नशा भक्ति आचार्य।त्याग शील गुण की नशा,नशा सत्य अनिवार्य॥ सदाचार जीवन नशा, नैतिक जीवन मूल्य।दान मान परहित नशा,मानव धर्म अतुल्य॥ सर्वोत्तम मानव … Read more

जय गुरुदेव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************************** संतों के तुम संत थे,सचमुच दैवीय संत।राह दिखाई सद्गुण की,किया पाप का अंत॥ थे साधक तुम उच्चतम,पावन एक महंत।सिक्ख धर्म का कर सृजन,बने आप बेअंत॥ देव गुरू नानक प्रखर,थे जीवन का सार।बाँटा जिनने नित्य ही,एक सुखद संसार॥ महादेव थे,ताप थे,लिया दिव्य अवतार।आये सबको सौंपने,जीवन का उजियार॥ तलवंडी में जन्म ले,बने … Read more

प्रेम मूर्ति अवतार

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************* प्रेम रंग में डूब कर,राधा मन मुस्काय।हुई बावरी नाचती,सुध अपनी बिसरायll प्रेम मूर्ति अवतार है,नंद यशोदा लाल।आओ करें अराधना,बंसीवट गोपालll हाथ दंड कम्बल लिए,गाय चराते श्याम।संग सखा बलराम भी,वृन्दावन ब्रजधामll मुरलीधर मुरली सुना,तरसूँ सुबहो शाम।तेरे बिन सूना यहाँ,है अनाथ ब्रजधामll करूँ प्रणाम कर जोर कर,हे प्रभु दीन दयाल।वास हृदय में … Read more

करो शमन शीतार्त जन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************** सिहरन ठिठुरन सर्द तनु,बाल जरा युववृन्द।रविदर्शन ढँक कोहरा,कहाँ खिले अरविन्दll पड़ी कड़ाके ठंड अब,पहन ऊन गणवेश।हाड़ रार कर ठंड अब,शीताकुल उपवेशll लावारिस बिन गेह के,सड़कछाप बिन वस्त्र।ठिठुर गात्र कवलित मरण,बिन घायल ही शस्त्रll निर्दयता है चरम पर,सात दशक जनतंत्र।ठिठुर रही आधी प्रजा,गज़ब तंत्र का मंत्रll है सुषुप्त संवेदना,सुख सत्ता … Read more

देना उजियारा सदा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* सूर्यदेव को पूजता,देखो सकल जहान।देना उजियारा सदा,रखना सबकी आनll हे भगवन् तुम तेजमय,देते हो नित ताप।कौन तुम्हारे वेग,बल,को पाया है मापll प्राची में उगकर सदा,देते हो आलोक।पूजन-अर्चन-वंदना,करे आपकी लोकll छठ माता ले आ गईं,एक बड़ा त्यौहार।धूम-धड़ाका हो रहा,उत्साहित संसारll राग-रंग,मेला,खुशी,मस्ती बिखरी,हर्ष।छठ माता हम पूजते,सूरज सँग प्रतिवर्षll अस्ताचल हो,फिर उगा,पाये सूरज … Read more

महँगाई की मार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* महँगाई की मार से,हर जन है बेहाल।निर्धन भूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल॥ महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिन-रात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात॥ महँगाई में हो गया,गीला आटा-दाल।पूँछे कौन गरीब को,जिसका है बेहाल॥ सुरसा के मुख-सी बढ़े,महँगाई की मार।देखो तो चारों तरफ,होता हाहा-कार॥ महँगी हर इक चीज है,बढ़े हुए है भाव।डर … Read more

बने दीप मुस्कान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** दीप जले सुख सम्पदा,बने दीप मुस्कान।जले दीप भारत चमन,जले दीप बलिदानll जले दीप परमार्थ का,जले दीप गणतंत्र।संविधान दीपक जले,संघ शक्ति हो मंत्रll सज दीपों की आवली,ज्योतिर्मय संसार।प्रेम त्याग सत् न्याय पथ,मानवता उपहारll भेद भाव छल घृणा मन,लोभ शोक सब मोह।जले दीप सब पाप जग,अरुण प्रीत आरोहll बनूँ मीत का … Read more

बन जाओ अनमोल

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* ग़म है,पीड़ा,है व्यथा,पर है सुख भी साथ।जो जैसा चिंतन करे,आता वैसा हाथ॥ खुशियाँ मिलती हैं बहुत,तकलीफ़ें भी संग।जीवन के दो रूप हैं,होते हैं दो रंग॥ वैसे जीवन को कठिन,माने है इनसान।कभी-कभी यह सत्य है,पर जीवन वरदान॥ जीवन का निर्माण कर,मानव बने महान।तप जाए जब आग में,तब मानव भगवान॥ जीवन के … Read more

कृष्णामृत

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ आँखों में छवि आपकी,हे प्रभु कृपा निधान।दुख-भंजन दुख टारिये,हम बालक नादान॥ कृष्ण बजाये बाँसुरी,मुख पर सुन्दर साज।मधुवन नाचे राधिका,गोपिन की सरताज॥ भोली-भाली राधिका,कृष्ण प्रेम बँध आय।मधुबन घूमे संग में,मंद-मंद मुस्काय॥ मोहन की छवि चित्त में,रख अपने वो पास।पिया-पिया रटने लगी,राधा हुई उदास॥ श्यामल मोहन रूप तो,राधा गोरी रंग।रास रचा ब्रजधाम … Read more

दीप पर्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. दीप कर रहे वंदना,सदा रहे उजियार।हर घर नित खुशहाल हो,दूर भगे अँधियार॥ दहरी पर आकर रमा,करती रहीं पुकार।पर गृहस्वामी ने नहीं,किया उचित सत्कार॥ रोशन है बस्ती,नगर,आलोकित हर गाँव।उल्लासों के संग ही,पाता है सुख ठाँव॥ है गृहलक्ष्मी पूज्या,सम्मानित हर नार।अंतर के आनंद से,जगमग है संसार॥ घर में … Read more