कृपा निधान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*********************************************************** आँखों में छवि आपकी,हे प्रभु कृपा निधान।दुख-भंजन दुख टारिये,हम बालक नादानll कृष्ण बजाये बाँसुरी,मुख पर सुन्दर साज।मधुवन नाचे राधिका,गोपिन की सरताजll भोली-भाली राधिका,कृष्ण प्रेम बँध आय।मधुबन घूमे संग में,मंद-मंद मुस्कायll मोहन की छवि चित्त में,रख अपने वो पास।पिया-पिया रटने लगी,राधा हुई उदासll श्यामल मोहन रूप तो,राधा गोरी रंग।रास रचा ब्रजधाम … Read more

सब खोकर होती विजय

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************* मुदित मना सब हो मुदित,खिले अधर मुस्कान।कौन कहे कब हो यहाँ,लघु जीवन अवसान॥ जीवन समझो युद्ध है,दो अपना अवदान।पाप पुण्य कुरुक्षेत्र में,सत्य सदा बलवान॥ करें प्रशंसा लोग जग,रखो न मन अभिलास।तौल तुला हृदयस्थली,हो सुकर्म आभास॥ लोभ मोह मद स्वार्थ में,आप्लावित जग लोग।कौन किसे अपना कहे,निरत क्षणिक सुखभोग॥ परहित जीवन … Read more

हिन्दी है अभिमान

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)*************************************************** हिन्दी बिन्दी देश की,और यही पहचान।तन-मन में मेरे बसी,हिन्दी है अभिमान॥ हिन्दी जो बोले सखा,वह भारत का लाल।परिपाटी रक्षित किये,रहता बनकर ढाल॥ मुख में हिन्दी का रहे,जब पावन परिधान।निज भारत की है यही,गरिमामय पहचान॥ दक्षिण की पा सभ्यता,स्वयं लगाकर रोग।निज हिंदी को भूलकर,इठलाते क्यों लोग॥ ‘कोहिनूर’ नित हिन्द का करो मान … Read more

सचमुच में थे प्रखर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************** काव्य-चेतना के धनी,किया सृजित साहित्य।सचमुच में तुम थे प्रखर,चमके बन आदित्य॥ कविताओं में जोश था,भरी प्रबल हुंकार।हर कृति में उत्कृष्टता,नीति,मूल्य से प्यार॥ युग को रोशन कर दिया,बनकर के वरदान।इसीलिए तो लेखनी,ने पाया सम्मान॥ हर रचना में था भरा,ओज और आवेग।देशभक्ति मुखरित हुई,वंदनीय संवेग॥ कालजयी साहित्य रच,फैलाया आलोक।हर रचना ने कर … Read more

जय श्री कृष्ण

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************************************* कृष्ण जन्म उत्सव हुआ,पलने में गोपाल।नंद-यशोदा रोहिणी,प्रमुदित मालामालll गोद कन्हाई मातु की,बैठे जब मुख खोल।मातु चकित यह देखकर,भू मंडल को गोलll ब्रज आँगन में खेलते,प्रमुदित दोनों भ्रात।श्याम और बलराम को,निरख रही है मातll घुटनों चलते धूल पर,बालरूप भगवान।छवि न्यारी मुख चन्द्रमा,हर्षित कृपानिधानll विनती करती राधिका,निसदिन सुबहो शाम।आस दरश की है … Read more

भगवान चित्रगुप्त चालीसा

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************* सदगुरु के पावन चरण,सादर उर में धारि।सुमिरहुं गणपति,सरस्वती,श्री,गौरा,त्रिपुरारि॥ अखिल विश्व के न्याय विद,चित्रगुप्त भगवान।प्रणवहुं पावन चरण रज,विधि,हरि,हर सम जान॥ जय,जय चित्रगुप्त भगवाना।नहि तव आदि,मध्य,अवसाना॥ परम ब्रम्ह चह सृष्टि नवीना।विगत प्रलय जग शून्य अधीना॥ तब निज चाह भयउ त्रय रूपा।ब्रह्मा,विष्णु जु शम्भु अनूपा॥ जग कारण प्रभु दीनदयाला।तिन्ह सन्मुख प्रगटेउ तेहि काला॥ दिये विधिहि … Read more

तजें दुष्ट आचार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************************* सद्विचार समरस सुखी,मानवता से प्रीति।जले शान्ति की दीप जग,चले धर्म और नीति॥ जीवन हो सुखसार जग,उन्नति हो जन आम।शिक्षा हो सब जन सुलभ,परहित भाव मुकाम॥ खिले चमन संसार का,महकें सौरभ फूल।हरित भरित सुष्मित प्रकृति,हो मौसम अनुकूल॥ सोच सदा अनुकूल हो,चिन्तन नव सत्काम।समरसता मुस्कान भर,बने मीत जग आम विश्व शान्ति … Read more

शांत चित्त मन

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ****************************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… शांत चित्त मन को रखें,क्रोध बिगाड़े काम। जोश द्वेष की आग सेबुरा हुआ अंजाम॥ शांत हृदय के भाव हो,सरल बने सब काज। सुखमय जीवन के लिए,धैर्य बने आगाज॥ शांत रहे मन सीख दें,मृदुवाणी संवाद। निर्मल पावन मन धरेंरखें जिसे सब याद॥ शीतलता दें क्रोध को,ऐसा होवै … Read more

राग-द्वेष हम छोड़ दें

अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************************* विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… विश्व शांति की कामना,धर ले दिल में आज।राग-द्वेष हम छोड़ दें,बने प्रेम से काजll पंच तत्व ही सार है,बाकी सब बेकार।सत्य काम आते यहाँ,जीवन देते तारll भिन्न-भिन्न संस्कार हैं,धरा बने पहचान।प्रेम भावना जो रखे,जग में बने महानll बेशक भाषा भिन्न हैं,मन के भाव समान।समझे दिल की बात … Read more

नव हिन्दी नव सर्जना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************************* सुन्दर सुखद प्रभात है,राम राम सुखधाम।हिन्दीमय सारे जहां,भारत है अभिराम॥ प्रमुदित है संस्कृत सुता,पुण्य दिवस पर आज।हिन्दी हिन्दुस्तान का,प्रीति भक्ति आगाज॥ नव हिन्दी नव सर्जना,कालजयी साहित्य।अलंकार नवरस ध्वनि,रीति गुणी लालित्य॥ रचना हो नित चारुतम,मर्यादित अनुकूल।हिन्दी नित प्रेरक बने,नव समाजशुभ फूल॥ इन्द्रधनुष सतरंग सम,विविध विधा हो काव्य।स्वस्ति लोक निर्माण मन,नवसर्जन … Read more