तपती धरती

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** धरती तपती धूप से,कटते वन चहुँओर।नहीं किसी को सुध यहाँ,बनते हृदय कठोर॥बनते हृदय कठोर,नहीं सुध कोई लेते।काटे वृक्ष अपार,इसे बंजर कर देते॥कहे 'विनायक राज',धरा सबके…

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बदले की मत सोच

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*************************************** रहना है सब प्रेम से,नहीं दुश्मनी आज।मिलकर करने काज हैं,इसमें कैसी लाज॥इसमें कैसी लाज,चलो फिर हाथ बढ़ाओ।बदले की मत सोच,सभी को गले लगाओ॥कहे 'विनायक राज',कष्ट…

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बिखरे-बिखरे केश

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************* बिखरी-सी है जिंदगी,बिखरे-बिखरे केश।देखो तो इनको जरा,सुन्दरतम् है वेश॥सुन्दरतम् है वेश,नाज नखरे हैं करती।जब भी देखूँ रूप,हाय वो आहें भरती॥कहे 'विनायक राज',चंद्र-सी वो है निखरी।केश…

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धागा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************** धागा है ये प्रेम का,रखना इसे संभाल।टूटे कभी न साथियों,चाहे जो भी हाल॥चाहे जो भी हाल,बचाना है मर्यादा।प्यारा हो सम्बन्ध,कभी कम हो या ज्यादा॥कहे 'विनायक…

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मेला

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************** मेला यह संसार है,आते-जाते लोग।चार दिनों की जिंदगी,सहते सभी वियोग॥सहते सभी वियोग,एक दिन सबको जाना।कर ले नेकी काज,यहाँ कुछ नाम कमाना॥कहे 'विनायक राज',लगे हैं रेलम-पेला।कठपुतली-सी…

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कोना-कोना स्वर्ग हो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************** कोना-कोना स्वर्ग हो,करना ऐसा काम।हरियाली चहुँओर हो,महके सुमन तमाम॥महके सुमन तमाम,सुगन्धित हो जग सारा।सबसे सुन्दर देश,बने यह भारत प्यारा॥कहे 'विनायक राज',बीज तुम ऐसा बोना।सबके दिल…

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यात्रा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* अनजानी गर हो डगर,यात्रा क्या आसान।सोच-समझ पग धारिए,मंजिल को पहचान॥मंजिल को पहचान,भटकना नहीं पड़ेगा।साथी मेरे यार,जमाना साथ चलेगा॥कहे 'विनायक राज',नहीं करना मनमानी।एक नहीं तुम साथ,चलो…

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आधा है चन्द्रमा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** आधा है ये चन्द्रमा,आधी है ये रात।ऐसे में साजन करूँ,तुझसे दिल की बात॥तुझसे दिल की बात,बताऊँ हाल सुनाऊँ।नहीं चैन दिन-रैन,तुझी पर प्रेम लुटाऊँ॥कहे 'विनायक राज',रहे…

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प्रेम का धागा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************* धागा है ये प्रेम का, रखना इसे संभाल।टूटे कभी न साथियों, चाहे जो भी हाल॥चाहे जो भी हाल, बचाना है मर्यादा।प्यारा हो सम्बन्ध,कभी कम हो…

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मेला

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** मेला यह संसार है,आते-जाते लोग।चार दिनों की जिंदगी,सहते सभी वियोग॥सहते सभी वियोग,एक दिन सबको जाना।कर ले नेकी काज,यहाँ कुछ नाम कमाना॥कहे 'विनायक राज',लगे है रेलम-पेला।कठपुतली-सी…

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