अपना आसन

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** अपना आसन ले बना, फिर करना तू ध्यान।सच्चे मन से पूजना, आएँगे भगवान॥आएँगे भगवान, करेंगे पूरी आशा।कट जाएगी पीर, हटेगी घोर निराशा॥कहे ‘विनायक राज’, ध्यान से हरि को जपना।शांति प्रेम सद्भाव, शुद्ध जीवन हो अपना॥

सहना है हर दुःख को

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** सहना है हर दुःख को, सुख के दिन तो चार।बिना दुःख के सुख नहीं, रीत यही संसार॥रीत यही संसार, कर्म सबको है करना।प्यार मिले स्वीकार, किसी से क्यों है डरना॥कहे विनायक राज, किसी से कुछ मत कहना।भाग्य लिखा जो आज, सभी को सब कुछ सहना॥

देव तुल्य भगवान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************** माना है पितु-मातु को, देव तुल्य भगवान।इनके चरणों में सदा, करते हैं हम ध्यान॥करते हैं हम ध्यान, सुबह नित शीष झुकाते।मन वांछित वरदान, इन्हें पूजा कर पाते॥कहे ‘विनायक राज’, भूल इनको मत जाना।सेवा करना आप, देवता सबने माना॥

पढ़ो नित गीता

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** गीता वेद पुराण का, मनन करो जी आप।कट जायेंगे आपके, सारे दुख-संताप॥सारे दुख-संताप, ध्यान गीता का करना।दिया कृष्ण उपदेश, इसे जीवन में धरना॥कहे ‘विनायक राज’, आज मन हो मत रीता।भर लो शक्ति अपार, पढ़ो साथी नित गीता॥

तारा चमका भाग्य से

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*************************************** तारा चमका भाग्य से, देखे स्वप्न हजार।मन में उठी उमंग अब, जीवन छाय बहार॥जीवन छाय बहार, मजा हर पल है मिलता।कलियों-सी मुस्कान, फूल आँगन में खिलता॥कहे ‘विनायक राज’, जगत हो सुखमय सारा।देखो नई प्रभात, भोर का चमका तारा॥

बातें प्रेम की

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************** बातें करते प्रेम की, मधुरस लगे मिठास।बैठ समन्दर के निकट, इक-दूजे के पास॥इक-दूजे के पास, प्यार की बातें करते।जीने की ले चाह, साथ जीते हैं मरते॥कहे ‘विनायक राज’, बीत जाती हैं रातें।मीठे सपने देख, सुहानी करते बातें॥

मीठी बोली

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** बोली अपनी तोल कर, हरदम मीठी बोल।औरों को प्यारा लगे, सबसे हो अनमोल॥सबसे हो अनमोल, यही जीवन की गाथा।कटुक वचन मत बोल, धरोगे फिर तुम माथा॥कहे ‘विनायक राज’, आज मिलके हमजोली।मन शीतल हो जाय, बोलना मीठी बोली॥

छोटी-छोटी बात

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ छोटी-छोटी बात पर, कभी न लड़ना आज।रहो सदा ही प्रेम से, बनते हैं सब काज॥बनते हैं सब काज, सहारा सबका बनना।भाई-भाई प्रेम, सदा जीवन भर करना॥कहे ‘विनायक राज’, इसे समझो मत खोटी।सबका आज महत्व, बड़ी चाहे हो छोटी॥

यादें

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************* यादें तड़पाती मुझे, चैन नहीं दिन रात।हर पल आती याद है, उससे की जो बात॥उससे की जो बात, हमें जब याद सताती।मिलने को मजबूर, वही यादें घिर आती॥कहे ‘विनायक राज’, किये उसने जो वादे।उन्हीं दिनों की बात, बसी है मन में यादें॥

मत खोना सम्मान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*************************************** मत खोना सम्मान को,ये तो है अनमोल।इसे बचाना साथियों,मीठा-मीठा बोल॥ मीठा-मीठा बोल,मिलेगा स्नेह सभी से।हो जा तू तैयार,सँजोने मान अभी से॥ कहे ‘विनायक राज’,निराश कभी मत होना।अपना ये सम्मान,कभी भी तुम मत खोना॥