घायल हो रहा हिमालय

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** आज देश की कई सीमाएं असुरक्षा से मचलती हैं, घायल हो रहा हिमालय शहीदों की संख्या बढ़ती है। देश के अन्दर कानाफूसी दोषारोपण में उलझे लोग- समय बदला-हम न बदले,पीढ़ी आत्मा की न सुनती है॥ परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैl २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंl वर्तमान तथा स्थाई … Read more

चटाई धूल वीरों ने तुझे

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)******************************************************************** अरे चीनी अरे पाकी,हमें तुम क्यों उकसाते हो,सिंह सोए हुए हैं जो,उन्हें क्योंकर जगाते हो।श्वान की मौत मरते हो,हिन्द की सीमा में आकर-समझ आती नहीं तुमको,सदा ही हार जाते हो॥ तेरी बंदूक में है जितना,जोर अपनी भी लाठी में,बनाता शेर बेटों को,उर्वर हिन्द माटी में।अगर चाहें तुझे रे चाइना,पल में मसल … Read more

तुम्हारा प्रेम

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** तुम्हारा प्रेम श्वांसों में मेरे हरदम धड़कता है,मिला जो था वहां अनुभव,होंठों पर फड़कता है।कहूँ शब्दों में कैसे मैं,मिला जो था वहां मुझको- वो मेरे मन में रहकर प्यार से हरदम महकता है॥ परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व … Read more

दूर बैठे हैं

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** स्वयं दिल के ही हाथों हम हुए मजबूर बैठे हैं,तुम्हारे इश्क में हम भी हुए मशहूर बैठे हैं।‘कोरोना’ से कहीं हम-तुम प्रभावित हो नहीं जाएं- मुहब्बत है सनम तुमसे,तभी हम दूर बैठे हैं॥ परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व … Read more

हिंदी से करो प्यार

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** हिंदी को बिन्दी बना,माथे लिया सजाय,एक दिवस के हेतु ही,मुखड़ा लिया रँगाय।हिंदी भाषा से करो,सारे बच्चों प्यार-हिंदी से आभार है,हिंदी से मनुहार॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी (असम)में हैं। जन्मतिथि पन्द्रह जनवरी सन् उन्नीस सौ चौहत्तर … Read more

अपमान हो या मान

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जब भी लिखूँ,सच्चा लिखूँ,चाहे जहां जो भी कहे,मझधार में ही छोड़ दे,या उर लगा मुझको गहे ।नहीं फ़र्क इसमें मानता,अपमान हो या मान हो,भगवान का आशीष हो,कायम कलम की शान हो॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी … Read more

नेह प्यासे आज पनघट

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:मापनी-२१२२ २१२२, २१२२ २१२२) घाट तीरथ सभ्यताएँ,स्वाति सम तरसे किनारे,चंद्र रवि शशि मेघ नीरस,ताकते नभ से सितारे।खींच तन से रक्त भू का,क्यूँ उलीचा तोय मानुष,खेत प्यासे पेड़ प्राणी,आज पंछी मौन सारेll शर्म आँखों की गई वह,भूमि-जल संगत सरूरी,घाट-गागर में ठनी है,आज क्यूँ तन नेह दूरी।हे छलावे दानवी मन,सत्य का पथ छोड़ने से,नेह … Read more

सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** हिंदी ने सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया है,भारत की हर भाषा के सँग मिलकर साथ निभाया।अंग्रेजी ने किन्तु खींच दी बँटवारे की कटु रेखा-काले अंग्रेजों ने अंग्रेजी का जहर पिलाया है॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी (असम)में … Read more

उठो कलम के प्रखर साधकों

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** राजनीति ने हिंदी माँ की,अस्मत पुन: उछाली है, लाज छोड़कर एक हो गया,ग्राहक के सँग माली है। उठो कलम के प्रखर साधकों,हिंदीमय भारत कर दो- वरना सवा अरब बेटों को,माता की यह गाली है॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की … Read more

अंधकार में दीप जलाओ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** अंधकार में दीप जलाओ,तब ही जीत मिलेगी, औरों से तुम प्रेम बढ़ाओ,तब ही प्रीत मिलेगीl वरना भटकोगे हर क्षण तुम,जीवन मुरझाएगा- असह्य ताप में मिले वेदना,क्योंकर शीत मिलेगीll परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर … Read more