तुम्हारा प्रेम

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** तुम्हारा प्रेम श्वांसों में मेरे हरदम धड़कता है,मिला जो था वहां अनुभव,होंठों पर फड़कता है।कहूँ शब्दों में कैसे मैं,मिला जो था वहां मुझको- वो मेरे मन…

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दूर बैठे हैं

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** स्वयं दिल के ही हाथों हम हुए मजबूर बैठे हैं,तुम्हारे इश्क में हम भी हुए मशहूर बैठे हैं।'कोरोना' से कहीं हम-तुम प्रभावित हो नहीं जाएं- मुहब्बत…

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हिंदी से करो प्यार

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** हिंदी को बिन्दी बना,माथे लिया सजाय,एक दिवस के हेतु ही,मुखड़ा लिया रँगाय।हिंदी भाषा से करो,सारे बच्चों प्यार-हिंदी से आभार है,हिंदी से मनुहार॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम…

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अपमान हो या मान

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जब भी लिखूँ,सच्चा लिखूँ,चाहे जहां जो भी कहे,मझधार में ही छोड़ दे,या उर लगा मुझको गहे ।नहीं फ़र्क इसमें मानता,अपमान हो या मान हो,भगवान का…

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नेह प्यासे आज पनघट

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:मापनी-२१२२ २१२२, २१२२ २१२२) घाट तीरथ सभ्यताएँ,स्वाति सम तरसे किनारे,चंद्र रवि शशि मेघ नीरस,ताकते नभ से सितारे।खींच तन से रक्त भू का,क्यूँ उलीचा तोय मानुष,खेत प्यासे पेड़…

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सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** हिंदी ने सबको अपनाकर हिंदुस्तान बनाया है,भारत की हर भाषा के सँग मिलकर साथ निभाया।अंग्रेजी ने किन्तु खींच दी बँटवारे की कटु रेखा-काले अंग्रेजों ने…

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उठो कलम के प्रखर साधकों

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** राजनीति ने हिंदी माँ की,अस्मत पुन: उछाली है, लाज छोड़कर एक हो गया,ग्राहक के सँग माली है। उठो कलम के प्रखर साधकों,हिंदीमय भारत कर दो-…

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अंधकार में दीप जलाओ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** अंधकार में दीप जलाओ,तब ही जीत मिलेगी, औरों से तुम प्रेम बढ़ाओ,तब ही प्रीत मिलेगीl वरना भटकोगे हर क्षण तुम,जीवन मुरझाएगा- असह्य ताप में…

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माँ

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’  बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** लुटाती प्यार का सागर,रखे मुझमें ही अपनी जां, कभी कुछ बात जब कहती,सहज रहती है मेरी हाँ। सदा से मैं ही हूँ जिसका,कलेजे का…

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बुरा है घबराना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** बुरे पल आते-जाते हैं,बुरा है इनसे घबराना, मनाना ईश को निशदिन,अहितकर होता डर जाना। है भीतर हौंसला तो,बढ़ते जाना,कैसा रुक जाना- जो ठहरा,वह गिरेगा,तब…

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