समता लाओ

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** महक उठा,वन उपवन रे-आओ साथी रे। पहचान लो,मन महक पुष्पों-दे तृप्ति सदा। आज उठेगा,उफान समुन्द्र में-सम्भलें सब। जीतेगा मन,बगिया के रंगों में-आ एक बार। जीवन मेरा,सहारा दिखे नहीं-समझे कौन ? जले दिया भी,फिर भी अंधियारा-दिशा मिले न। साथ मिले न,राह दिखे न अब-जाएं किधर ?  धरती डोले,हौले से राज खोले-माने … Read more

भेद लक्ष्य

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** कर संघर्ष,भेद लक्ष्य संसार-मिलेगा अर्श। डरना भूल,नाव उठा हौंसला-बना उसूल। रखना ध्यान,सफल जब श्रम-मिलेगा मान। टाल अभाव,उम्मीद राह नई-निभाना भाव। बढ़ना आगे,बढ़ चिमनी विश्व-मुश्किल भागे। ख्वाब मंजिल,फिक्र मत जगत-बन काबिल। नसीब मेरा,संकट मत डर-भरोसा तेरा। उड़ गगन,नाप पंख हौंसला-रह मगन। मत बदल,रख भरोसा पूरा-मन चंचल। रिश्ते टूटते,नहीं झूठ दिखावा-हाथ छूटते। जीना मुश्किल,लक्ष्य … Read more

फिसल गया

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** ली यूँ विदाई,फिसल गया साल-ले घड़ी आई। माला से मोती,बिखरा टूटकरचिंता ये होती। उम्र भी आगे,बदलती तारीखसमय भागे। सूर्य उतरा,नया चाँद आएगाकौन ठहरा ? रिश्ते बिखरे,पर पंछी उड़ेगा-साथ में सदा। ये चंद यादें,दूर निकला वर्ष-स्मृति में बातें। अधूरे ख्वाब,छूटी कई मंजिल-नया हिसाब। यूँ अलविदामिले सफर नयानहीं हो जुदा। स्वागत नया,मुस्कान-सी ये धूप-तेईस … Read more

एक थी श्रद्धा…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** श्रद्धा हत्याकांड… एक थी श्रद्धा,माता-पिता दुलारी-गई भटक। रिश्ता भी धोखा,दिल टूटा श्रद्धा का-केवल पीड़ा। ना वो आजादी,माँ-बाप बिन शादी-गत श्रद्धा की। ना प्रेम पला,ना रहा ‘लिव-इन’-जग-हँसाई। न रहा प्यार,केवल व्यभिचार-श्रद्धा व ताब। दुर्गत श्रद्धा,अनसुनी, ना होनी-दुष्परिणाम। खून के धब्बे,पॉलिथीन थैलियाँ-पैंतीस टूक। डीप-फ्रीज़र,हाथ-पाँव व सिर-मांगते न्याय। दोस्त हैरान,दुनिया परेशान-ये कैसा … Read more

‘आभार’ कहें

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** ‘धन्यवाद दिवस’ विशेष (२४ नवम्बर) दें ‘धन्यवाद’,करें प्रार्थना रब-सब आबाद। दुनिया अच्छी,लगे मन को प्यारी-कोशिश सच्ची। अमृत नीर,करो सदा भलाई-समझो पीर। हो सहयोग,जाग, चलन मिल-बनाएं योग। दें सहायता,दशा कठिन जीव-हो मानवता। निभाएँ प्रीत,नहीं बिखरें रिश्ते-रखना रीत। बनो सहारा,दो भरोसा, मंजिल-ईश किनारा। छोड़ तनाव,लड़, कर संघर्ष-जिंदगी नाव। जीना हौंसला,रहो साथ, विपदा-आस घोंसला। ‘आभार’ … Read more

कर संघर्ष

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** कर संघर्ष,भेद लक्ष्य संसार-मिलेगा अर्श। डरना भूल,नाव उठा हौंसला-बना उसूल। रखना ध्यान,सफल जब श्रम-मिलेगा मान। टाल अभाव,उम्मीद राह नई-निभाना भाव। बढ़ना आगे,बढ़ चिमनी विश्व-मुश्किल भागे। जीना मुश्किल,लक्ष्य बड़ा विकट-कर हासिल। ख्वाब मंजिल,फिक्र मत जगत-बन काबिल। नसीब मेरा,संकट मत डर-भरोसा तेरा। उड़ गगन,नाप पंख हौंसला-रह मगन। कर संकल्प,नहीं थमे कदम-जीत ‘विकल्प’॥

दिल जिंदगी

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** तुझसे प्यार,सुकूँ-यार जिंदगी-मेरा करार। बहुत प्यार,पागल मैं सूरत-मैं बेकरार। दिल जिंदगी,अनाड़ी राह प्यार-प्रेम बंदगी। इश्क़ धड़क,ईश्वर नाम प्यार-मत झिड़क। प्रेम पकड़,बिखर नहीं प्रेम-मत अकड़। प्रेम निखर,याद तड़प इश्क़-बन प्रखर। सच्ची चाहत,जग जीना कठिन-तेरी राहत॥

कड़ी अनुपम

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** भाई-बहन,पावन रीति पर्व-स्नेह मिलन। प्रेम सकल,कड़ी तो अनुपम-रिश्ता अटल। आनंद मन,बहिन भाई खुशी-रक्षा बहन। मन हर्षित,खुशी अद्भुत सुख-सब गर्वित। गजब डोर,वचन भाई रक्षा-मंगल ठौर। करो संकल्प,निभाना सदा भाव-नहीं ‘विकल्प’। ममता मान,खिले सुरभि मन-भाल सम्मान॥

तम हटेगा, मन जुड़ेगा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** दीपावली विशेष… मन मुस्काएँ,मिटाना मन मैल-दीप जलाएँ। दीप बहार,चलो, रंग दिवाली-खुशी त्योहार। घर रोशन,हर चमके कोना-रंग-रोगन। पावन दिन,रहे सब खुशियाँ-लालच बिन। लक्ष्मी प्रवेश-शुभ करें पूजन-चहके देश। ज्योति दिवाली,जगमग आ गई-पूजन थाली। साफ-सफाई,रंग दीप-पटाखे-फूल मिठाई। तम हटेगा,घर रोशन दीप-मन जुड़ेगा। धर्म-संस्कृति,मनवा नाचे खुशी-भगा विकृति। कर मदद,थाम गरीब हाथ-बन निडर। मना दिवाली,मिठाई बाँटें खुशी-हो … Read more

दीपक

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** दर्द घनेरा,ऊपर ज्योति पुंज-तल अंधेरा। तम नाशक,भू योद्धा प्रथम हूँ-मैं दीपक हूँ। माटी में बाती,तेल सिंधु तैरती-आलोक वती। रोली रंगोली,शुभ आगम पर्व-दीए की बोली। मन हो चंगा,एकमेव पावन-दीप पतंगा। मनभावन,टिम-टिम-टिम ये-तारों का साथी॥ परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में … Read more