प्रकृति का प्रहार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** उत्तराखंड हों या पहाड़ी प्रदेश,जगह-जगह है विनाश का सन्देश। कारण तो जानना है जरूरी यहां,क्यों है यह वक्त की मजबूरी ? क्यों पहाड़ों पर है गर्जन,क्यों ग्लेशियर में हैं कम्पन ? यह तो यहां उठता है एक यक्ष प्रश्न,जिसे समझना है खुद से जैसे अन्तर्मन। आखिर है इसमें किसका कमाल,प्रकृति बन रही है क्यों … Read more

काव्य कुसुम बिखराएंगे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:ताटंक छंद- ३० मात्रा,१६-१४ पर यति,पदांत २२२ सदा दूसरों के हित अपनी,कौशलता दिखलाएंगे।दया प्रेम सौहार्द्र शांति के,काव्य कुसुम बिखराएंगे॥ काव्य सरस मधुमय शब्दों की,मधुर लयबद्धता होगी।रस छंद व भाव सुरों की,सजी क्रमबद्धता होगी॥परदुख करुणा भाव रश्मि से,रसिक काव्यगुण गाएंगे।दया प्रेम सौहार्द्र शांति के,काव्य कुसुम बिखराएंगे॥ निकले कोई भाव न ऐसा,हृदय ठेस … Read more

वो हमें याद है…

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** मन आज बहुत उदास है,दिल में आज भी प्यास हैकैसे कहें हम उनको,कि हमें तुमसे प्यार हैमिले हुए वर्षों बीत गए,पर बात दिल की कह न सकेउम्र के इस पड़ाव पर भी,वो हमें याद हैकहाँ है और कैसे होंगे,कुछ भी नहीं है पता। जब भी तन्हा होता हूँ,उनके बारे में सोचता हूँक्योंकि,बोली … Read more

उन्मुक्त हँसी…

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** आज हँसना भी कठिनकाम में शुमार हो गया है,झूठ के संसार में सच्चाईबचाना गुबार हो गया है। उन्मुक्त हँसी के ठहाकेअतीत की बातें हो गई है,मुस्कुराता चेहरा देखकरयह पुरानी यादें हो गई है। जीवन के भ्रम में जीनेको यह सारा संसार है,हँसी-खुशी से रहना भीआज फिर से दुश्वार है। सच्चाई के धरातल पररहना … Read more

डरे कोरोना…भागे..

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** सौ करोड़,हाँ,सौ करोड़ हम,दुनिया में हुए आगे।एक सुरक्षा कवच बना,जहां,डरे कोरोना भागे।ताली,थाली,लॉकडाउन सब,जनता के बने हथियार।दुनिया केवल ताकती रह गई,वैक्सीन हमारी हुई तैयार।शासन भी मुस्तैद खड़ा रहा,सजग प्रशासन जागे।सौ करोड़,हाँ,सौ करोड़ हम,दुनिया में हुए आगे।एक सुरक्षा कवच बना,जहां,डरे कोरोना भागे…॥ कुछ सख्ती,कुछ प्यार-मोहब्बत,साथ सभी का बना रहा।एक-एक का मिला … Read more

ऐसी धरती ऐसा जहान

वाणी वर्मा कर्णमोरंग(बिराट नगर)****************************** प्रेम की धरती,प्रेम का आसमानन हो अकेलापन,न ही दुखित मनजहां भी जाओ,बस मिले अपनापनप्रेम की भाषा हो,मानवता ही धर्म होक्यों नहीं हम बनाते,ऐसी धरती ऐसा जहान। न अमीर न गरीब,न ऊँच न कोई नीचन कोई जात न कोई पात,चारों ओर बस एक ही कातमानव की हो बस मानव ही पहचान,कर्म प्रधान … Read more

चाँद तुम महफ़ूज़ हो…

ऋचा सिन्हानवी मुंबई(महाराष्ट्र)************************************* चाँद तुम महफ़ूज़ हो,बादलों की गोद में,करवा चौथ,ईद का चाँद औ अपनी मोद में। ना तुम्हारे कोई घूँघट,ना कोई चिलमन,चाँदनी संग रास रचाते,छुपते ग्रहण बन। ना तुम्हारा धर्म है,और न कोई मज़हब,ख़ुशबू बन बिखरे हुए,मोहब्बतों में ग़ज़ब। गीत-ग़ज़लों में खिले,और कवियों की शान,तुमको अपनी सूरत पर,इतना क्यूँ गुमान। अच्छा है जो यहाँ … Read more

पहेली समझ नहीं आती

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ जीवन पहेली समझ में नहीं आती।कैसी है अलबेली समझ में नहीं आती। कितनी ख़्वाहिशें दफ़न हो गई दिल में,इच्छाएँ ज़हरीली समझ में नहीं आती। दिन-रात आते औऱ चले जाते हैं,किरणें रंग रँगीली समझ में नहीं आती। दुनिया के ख़ेमे में है साँसों की सरगम,कब तक सहेली समझ नहीं आती। ‘रेणू’ कहे ग़म के … Read more

राधा का पत्र

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’राजकोट (गुजरात)*************************************** सर्व हारूँ मैं केशव तेरे लिए,जीत भी न चाहूँ माधव तेरे लिएबसी है राधा तेरी बाँसुरी में,हर लय में बह जाऊँ तेरी प्रीत के लिए। सूखी पड़ी है आस जिया की,बून्द-बून्द तरसूं प्रीत पिया कीविरह है कैसी दरस न होए,तुझको अंखियन देखे बरसों-बरस होए। जानूं मैं कि मुझमें ही तू,मानूं … Read more

विदेश नीतिः हमारी २ नई पहल

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* ढाई महीने से गिरती-लुढ़कती हमारी विदेश नीति अपने पाँवों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है, यह बात विशेष खुशी की है। भारत सरकार को तालिबान से सीधे बात करनी चाहिए,लेकिन नौकरशाहों के लिए कोई भी पहल करना इतना आसान नहीं होता,जितना किसी साहसी और अनुभवी नेता के लिए होता है। … Read more