कोरोना:तालाबंदी और शराब का ये ‘रिश्ता’…?

अजय बोकिलभोपाल(मध्यप्रदेश)  ****************************************** विशेषज्ञ चाहे जो कहें,सरकार और आम आदमी की नजर में 'कोरोना' का ‘इलाज’ दारू ही है! कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में शराब की ऑन लाइन बिक्री की वेबसाइट…

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गर्व:५० हजार पत्र-पत्रिकाएँ आज हिंदी में प्रकाशित

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* ३० मई को भारत में 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' मनाया जाता है। इसी दिन कोलकाता से १८२६ में याने १९५ साल पहले हिंदी का पहला समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तण्ड’…

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लगाएँ वृक्ष हम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** विश्व पर्यावरण दिवस हुआ विषम पर्यावरण,ग्रस्त रोग समाज।वृक्ष लगाओ मिल पुनः,देश बचाओ आज॥ खुद जीवन का रिपु मनुज,खड़े मौत आगाज।बिन मौसम छायी घटा,वायु प्रदूषित…

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आज की दुनिया

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* आज की दुनिया कैसी हो गई,मत पूछो।प्रेम भावना कहाँ खो गई,मत पूछो॥ मानव तो अब रहा न नेहिल,बिखर रहे अरमानप्यार-वफ़ा की रही न क़ीमत,सोया है…

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आओ धरती का करें श्रृंगार

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* पर्यावरण दिवस विशेष..... आओ सब मिल पेड़ लगाएं,पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं। आओ धरती का करें श्रृंगार,करें पुन: प्राणवायु का संचार। धरती को हम…

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सिसकी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** जब मन की पीड़ा,आँसू बन करगालों पर आती है,यही सिसकीकहलाती है। सिसकते हैं हम,बिछड़े प्रियतम की यादों मेंखो जाते हैं हम याद कर,उनकी बातों में।…

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अपनी धरती सजा लें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** पर्यावरण दिवस विशेष...... चलो आज हम अपनी धरती सजा लें।इसे फिर से पहले जैसी बना लें॥ रहे जिन्दगी भर ये 'पर्यावरण' दिन,सभी इन विचारों…

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उर स्वर तरंग कैसे लाऊं…

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** बिखरुँ तो बिसर जाऊंया बिसर के बिखर जाऊं,इंद्रियां समेटूं मैं अपनीया इनमें ही सिमट जाऊं। खुद बिसर शिखर पाऊंया बिखर के निखर पाऊं,संकुचित होती उर ज्योतक्या इसी…

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हालात

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ********************************** नदी का किनारा किसे तारता है।कहाँ है हमारी दिशा क्या पता है। बचाएं सभी को निभाएं सहारा,हमारा-तुम्हारा यही वास्ता है। भँवर में फँसे हैं तो कैसे…

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कल-कल करती नदिया

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ****************************************** पर्वत के वो शिखर से निकलेधरती के सीने पर फिसले,कोई उससे कुछ भी कह लेसबकी बातें हँस कर सह ले।इसकी कहानी कहेंगी सदियां,कल-कल करती बहती नदिया॥ इठलाती-बलखाती…

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