आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
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अपनी खुशियां हम सब कुछ इस तरह से मनाएंगे,
सोचें भला करें भला और किसी के काम आएंगे।
अपना पेट तो यूँ खुद ही भर लेते हैं पशु पक्षी भी,
मनुज वो ही होंगे जरूरतमंदों के जो काम आएंगे ।
अगर नि:स्वार्थ रहकर कोई करे सेवा किसी का तो,
भला खुद आप ही होगा सदा प्रसिद्धि जग में पाएंगे।
जो सड़कों पर भटकते यूँ ही हर पल भूख से लड़ते,
सहारा जो बना कोई अकेले आप जीवन संवर जाएंगे।
मुसीबत की घड़ी में जो किसी का आसरा हो जाए,
उनकी अगली पीढ़ी भी सद्गुणों से भर ही जाएंगे॥