आँगन में उदास है खड़ी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. बचपन की स्मृतियां,दिमाग में अभी भी है शेषबाबूजी की साईकिल है,मेरे लिए विशेष। जब भी बाबूजी,दुकान से घर…

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जीवन तो बस पेड़ जहाँ है

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष..... आक्सीजन की मारा मारी। जीवन पर पड़ता है भारी।मानुष का नित रोना-धोना। दुश्मन बनता ये कोरोना॥ लोभ मोह निज हृदय बसाता। वृक्ष काटकर…

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ठूंठ हो जाएगा शहर

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** पर्यावरण दिवस विशेष..... कटते वृक्ष,ठूंठ होते जंगल,चहुँओर हो रहा अमंगल। बंजर धरा सिसकती रोती,हरीतिमा का बाट जोहती। हरे-भरे सुन्दर वन,महकाते थे जीवन,बिखरा जाते थे पल भर में चंदन।…

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तितली का संदेश

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष.... तितली रानी,तितली रानी,क्यों जल्दी उठती हो ?सुबह-सवेरे झोला लेकर,कहां निकलती हो ?आँखों पे चश्मा,मुँह पर मास्क,क्यों पहनती हो ?सुबह सवेरे झोला लेकरकहां निकलती हो…?…

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आओ सब मिल करें निवारण

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** पर्यावरण दिवस विशेष.... कल-कल करते,झरते झरने,कितना मन को भाते हैं।कलरव करते नभ में पक्षी,सुन्दर तान सुनाते हैं॥ कितनी धरा मनोरम लगती,इंद्रधनुष के बनने से,मिट्टी की खुशबू प्रिय…

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हम लें शपथ

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** पर्यावरण दिवस विशेष........... कभी इन हवाओं में शुद्धता ही बहा करती थी,कभी इन नदियों में निर्मल धारा ही बहती थी।कभी भू मंडल हरे घने पेड़ों से…

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पृथ्वी और पर्यावरण

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष.......... पृथ्वी कहे-पर्यावरण दिन,मानव जागे। उचित होगा-संरक्षण करना,प्रत्येक दिन। दूषित करे-नदियाँ जलाशय,सोचता नहीं। उजाडे़ वन-वृक्ष काटते सदा,प्रगति नाम। बाढ़ बढ़ावे-तूफान भी भीषण,पावे हताशा।…

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हर कदम पर प्रेरणादायक पापा और साईकल

श्रीमती चांदनी अग्रवालदिल्ली ***************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. कहां से शुरू करुं ? समझ ही नहीं आ रहा है। पिताजी,मेरा बचपन या साइकिल ? जवाब मिल गया।…

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मुझे बहुत ही भाती थी

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. मेरे पिताजी की साईकिल,मुझे बहुत ही भाती थीट्रिन-ट्रिन करके घंटी बजती,घर पर जब वो आती थी। खेल-खिलौने लेने जाता,मेला…

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मन को भाती

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. पिताजी की साइकिल मन को भाती,दूर-दूर तक चलती जाती। सैर-सपाटा बाजार-मेले,हर जगह वह दौड़ लगाती। साइकिल मेरे मन को भाती,रोज…

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