दिन ख़ुशी के आयेंगे

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** कहने को आप कह’ दें के अम्न-ओ-अमान है।खौफ़-ओ-ख़तर के साए में चुप हर ज़ुबान है। घेरे हुए हैं आज हमें ग़म तो क्या हुआ,दिन फिर ख़ुशी के आयेंगे यह इतमिनान है। अम्न-ओ-अमान,चैनो सुकूँ,मेल ‘जोल में,सानी ‘न जिसका कोई ‘वो हिन्दोस्तान है। बैठे ‘हैं आज हारे हुए बाज़ की तरह,आपस के इन्तेशार … Read more

हिंदी और राष्ट्र भाषा

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** महाभारत में एक प्रसंग आता है-युधिष्ठिर से यक्ष ने पूछा कि,-‘एक सुखी और समृद्ध राष्ट्र की क्या विशेषताएं होती हैं ?’इस पर युधिष्ठिर ने बताया कि-‘जिसकी सीमाएं निश्चित हो। जिसकी सुगठित सेना हो। जिसके राजकोष की नियमित आय हो। जिसके नागरिकों में देश भक्ति का भाव भरा हो। जिसकी एक निश्चित भाषा … Read more

बचपन के खेल

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* प्यार से बचपन की तस्वीर को देखा,बीता अपना सलोना बचपन टटोलाअनगिनत खेलों में खुशियों को खोजा,गेंद गिट्टे,ऊँच-नीच का पापड़ा,पाया। स्टापू के साथ-साथ रस्सा उछाला,लुका-छिपी,कबड्डी व पिट्ठू गरमायाडन्डे से गिल्ली को भी हम साथियों ने,आखिरी गली तक खूब नचाया। कैरम को क्रिकेट मैदान बनाया,शतरंज पे राजा-वज़ीर दौड़ायागुड्डे-गुड़िया का ब्याह रचाया,फिरकी को … Read more

जोड़ने का काम करता है साहित्य

सम्मान समारोह… इंदौर (मप्र)। साहित्य जोड़ने का काम करता है, शब्द ब्रहम होता है उसकी अर्थवत्ता सबसे ऊपर होती है। हिन्दी ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया है।यह उद्गार कवि सत्यनारायण सत्तन(सभापति) ने श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किए। प्रसंग था शिक्षाविद् साहित्यकार डॉ. हेमलता दिखित की … Read more

शिक्षक मार्गदर्शक इंद्रधनुषी जीवन पथ के

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. जब भी ‘शिक्षक’ की बात होती है,तो अपने छात्र दिवस की सुनहरी यादें मन मस्तिष्क में उभर आती हैं। विद्यालय के शिक्षक हों,या कला क्षेत्र में,सबकी अपनी गरिमा होती है।सर्वप्रथम शिक्षक तो हमारे माता-पिता ही होते हैं, जो हमारे लालन-पालन के साथ हमें आ … Read more

मातृ शक्ति हिंदी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** हिंदी दिवस विशेष…. बोलेंगे हम मिलकर हिंदी।माथे इसके लगती बिंदी॥हिन्द देश के हम हैं वासी।बनों नहीं अंग्रेजी दासी॥ अंग्रेजी को मार भगाओ।हिंदी सीखो और सिखाओ॥हिंदी को पहचान बनाओ।बच्चे-बूढ़े सभी जगाओ॥ हिंदी भाषा होती प्यारी।बोलेंगे हम जीवन सारी॥समय-समय पर बदलो भाषा।हिंदी है सबकी अभिलाषा॥ मातृ शक्ति हिंदी कहलाती।मानव की पहचान … Read more

अपने-अनजाने

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ मुफ़लिसी में अपने अनजाने हुए जाते हैं।दौलत देख ग़ैर भी जाने पहचाने हुए जाते हैं। पढ़-लिख कर जब दौलत कमाने लगे बेटे,उनके बेढंग हौंसले मनमाने हुए जाते हैं। नया ज़माना नई-नई मुसीबतें लेकर आया है,उनके क़दमों रूख़ मयख़ाने हुए जाते हैं। बेटियाँ बेहया हो ससुराल में टिकती नहीं,‘लिव इन रिलेशन’ के बुतखाने हुए … Read more

हिंदी भाषा जैसे कोई राजदुलारी

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* हिंदी दिवस विशेष…. हिंदी लगती बड़ी ही प्यारी है,हिंदी सारे जग से न्यारी है।विश्व में हिंदी का परचम लहराये-हिंदी भाषा जैसे राजदुलारी है॥ चहुँओर ही हिंदी का गुणगान है,यह भाषा तो बहुत ही महान है।ज्ञान विज्ञान वेद शास्त्र संस्कृति-यह भाषा मानो रत्नों की खान है॥ बहुत मीठी-सी यह इक़ बोली है,बहुत कठोर-सी … Read more

सभी की प्यारी हिंदी

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** हिंदी दिवस विशेष…. क्लिष्ठ संस्कृत कालांतर में,बन बंगाली कन्नड़ उड़ियापंजाबी सिंधी गुजराती,मलयालम तेलगु असमिया। राजस्थानी,मराठी नेपाली,अवधि ब्रज,गोंडी,भोजपुरीहरियाणा कश्मीरी कुमांयू,बनारसी गोंडी छत्तीसगढ़ी। संस्कृत से ही भाषा उपजी,भाषा से उत्पन्न हो बोलीबोली का ध्वंस रूप बानी,बानी सबसे छोटी भोली। लोक कहावत है इक वैसे,‘कोस-कोस में बदले पानी’कितने ठीक कहा करते हैं,दस कोसन में बदले बानी। … Read more

हिंदी-वन्दना

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** हिंदी दिवस विशेष…. नए बोल सिखाती है,मुझे ज्ञान कराती है।ऐ माँ भाषा तू ही मुझको,सम्मान दिलाती है।नए बोल सिखाती है़…॥ भारत का है गौरव तू,चमकी बन भानु प्रभा।जन-जन में है सौरव तू,महकी हर दिशा दिशा।भारत-सुत में तू ही,नया स्वाभिमान जगाती है।नए बोल सिखाती है,मुझे ज्ञान कराती है।ऐ माँ भाषा … Read more