श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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भाई-बहन का आ गया है आज पावन त्यौहार,
स्नेह प्यार ममता का,बहना रानी पाती है उपहार।
हर काम को छोड़ के,भैया आज बहना के घर जाते हैं,
बहना भी अपने पति के साथ में,भैया के घर आती है।
रोली अक्षत कुमकुम से थाल सजा के बहना लाती है,
टीका लगाने के लिए सुन्दर आसन पर बैठाती है।
बहुत प्यार से बहना रानी भाई को,टीका लगाती है,
बेग में नेग का,नोट भर के गहना रूपया बहन पाती है।
अम्मा खुश हो जाती है जब बिटिया घर में आ जाती है
मुहल्ले भर में पता चल जाता है आज मेरी बेटी आई है
हॅ॑स-हॅ॑स के भाभी रानी भी,पकवान खूब बनाती है,
रंग-बिरंगे वस्त्र देकर,सभी रो कर विदा कर पाती है।
कितना सुन्दर भैया दूज यह भाई-बहन का है त्यौहार,
भाई-बहन एक-दूजे को करते हैं,हद से ज्यादा प्यार।
भाई-बहन दोनों मिल के अपनी-अपनी बातें करते हैं,
भूख प्यास भी लगती नहीं,कभी हँसते-कभी रोते हैं।
राजा या रंक हो,अमीर या गरीब हो,भाई-बहन एक है,
ममता का कोई रूप तौल नहीं है,सबकी ममता एक है।
विधाता भी ये अजीब रीत,भाई-बहन का पर्व बनाया है,
भाई-बहन के जैसा दोस्त,ईश्वर ने दूजा नहीं बनाया है॥
परिचय–श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।