बदलाव
प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** सोचे जनता देख कर,ये कैसा बदलाव।महँगाई है बढ़ रही,बढ़ता सबका भाव॥बढ़ता सबका,भाव देख कर,जनता रोते।नहीं चैन अब,मिले किसी को,रात न सोते॥बच्चे भूखे,बैठे रहते,खुद को नोचे।देख देश की,हालत जनता,कुछ तो सोचे॥ हालत बिगडे़ देश की,आया जब बदलाव।कोरोना के काल में,फँसे सभी की नाव॥फँसे सभी की,नाव साथ में,है बीमारी।मरते जाते,बूढ़े-बच्चे,संकट भारी॥घर-घर … Read more