बंगाल:मर्यादा क़ा ध्यान नहीं रखा

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* प. बंगाल के नंदीग्राम में ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। जो शुभेंदु कल तक ममता के सिपहसालार थे,वे आज भाजपा के…

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खुद को जीत जाना ही आत्मसंयम

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)*************************************************** 'आत्मसंयम' का सहज और सरल अर्थ है अपने-आप पर,मन पर नियंत्रण। इसका शाब्दिक अर्थ जितना सरल प्रतीत होता है, वास्तविक जीवन में इसको प्रयोग में लाना और आत्मसात…

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अभिलाषा

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)************************************************ उम्र के इस पड़ाव पर आकर,क्या कोई अधिकार नहीं जीने कासारी उम्र दबाती रहीभावनाओं को नहीं थी कोईवाह-वाह सुनने की उत्सुकता।बस रहती है एक आशा,कोई तो आकर…

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चाँदनी रात

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** सुहानी यादों को मैं,आज ताजा कर रहा हूँबैठकर बाग में उस चाँद को,पहले की तरह ही आजअपनी आँखों से तुम्हें देखकर,उसी दृश्य की परिकल्पना कर रहा हूँ।…

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बस्तियों में रहती हूँ

अनूप कुमार श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मैं वो हिंदी हूँतुम्हारे ड्राइंगरुम में नहींबस्तियों में रहती हूँ,तुम्हारी सभाओं-सम्मानों,पुरस्कारों में नहींदिखती हूँ।अपनी जीत केप्रति आश्वस्त हूँ,तुम्हारे फ़ूल मालाओं,लम्बे-लम्बे भाषणों मेंनहीं कही जातीं। मैं देश…

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मन की लहरें

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** समुद्र से बढ़कर हैं,जो मन की लहरें…बदलती पल-पल हैं,जो मन की लहरें। क्षण में बदल जाती,सोच यों ही मन की…कुछ बनती है पल में,सोच…

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प्यार का बन्धन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************* लिखता खत मैं मधुमास सजन,अभिलाष हृदय अहसास समझ।कर सात जनम कसमें-वादे,प्यार का बंधन अरदास समझ। मधुरिम रिमझिम श्रावण पावस,दिलदार प्रियम गुलज़ार समझ।भींगी पलकें मृगनैन…

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भारत के सैनिक

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’दौसा(राजस्थान)***************************************** रचना शिल्प:१६-१४ अन्त ३ × गुरु..... अपने ही घर में सेना से,पत्थर वाले ऐंठे हैं।सुकमा में नक्सली जवानों,की लाशों पे बैठे हैं॥ जाने किस नशे में…

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राही…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान)****************************************** राही,तुम पथ परसदैव हीबढ़ते रहना।थककर,कहीं पर रूकन जाना,आँधी हो यातूफान,टकरा जाना।घबराकर,कभी विचलितमत होना,तुम्हारी मंजिलपास होया बहुत दूर,थम नजाना तुम।हो कर के यों,मजबूरमन में विश्वास की,ज्योत…

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पतझड़ के पात

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* शाखाओं से विलग होकर भी मुस्कुरा रहे हैं,वियोग सहकर भी पावन प्रीत निभा रहे हैं।पतझड़ के पात हैं या प्रात-मुकुलित-फूल-झर-झर कर धरा का कण-कण सजा…

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