हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एकजुट आंदोलन की आवश्यकता-प्रो. शुक्ला

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी..... ऑस्ट्रेलिया। भारत के सभी हिंदी सेवियों,हिंदी सेवी संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों को एकजुट होकर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आंदोलन करने की आवश्यकता है।यह बात डॉ. बी.आर.आम्बेडकर सामाजिक…

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रूप जगत का न्यारा होता

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* चाहे मानो या मत मानो,पर मेरा विश्वास अटल है,मज़हब अगर नहीं होते तो,रूप जगत का न्यारा होता। जाति-पाति के बंध न होते,आपस में संबंधी होते,बंधन संसाधन…

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ईश्वर,विद्यालय खोल दो तुरंत

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** जाने दो विद्यालय हमें,करो ना अब तुम तन्हाई।बहुत डराया 'कोरोना' हमें,भाग अब इसमें तेरी भलाई। दोस्तों का साथ छूटा,गुरुजी का दुलार छूटा।छूट गया हँसी का…

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चाहे जितने तीर चुभा रे…

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मेरा दिल तूणीर पुराना,चाहे जितने तीर चुभा रे। एक तीर की पीड़ा ही तो,सहन न करता जग अलबेला।पर अनगिन तीरों की चोटें,सहता है तूणीर अकेला।बन जाये दिल तीर…

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लाली छाई

रोहित मिश्र,प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** आज गगन में प्यारी लाली छाई,सूरज ने मंद-मंद किरणें,फैलाई। धूप ने,भी ली बड़ी अंगड़ाई,बागों में है कलियाँ खिल आई। कोयल की मधुर आवाजें आई,चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई। चारों…

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सुरभित सुगंधित चैत्र

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** है अप्रैल मूर्ख माह,विदेशी संस्कृति दाह।पावन मानो चैत्र को,यही पवित्र सलाह। अप्रैल मूर्ख होने दो,चैत्र मेरा न खोने दो।चैत्र फूल भरी क्यारी,वर्ष हर्ष डुबोने दो। चैत्र नवदुर्गा पूजा,माह…

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तब सृजन होता है…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** जब कवि का अंतरमन चीखें मारने लगता है,जब कवि के अंदर से कुछ टूटने लगता हैतब जाकर एक कविता का सृजन होता है…।देश और समाज में…

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समानता,स्वतंत्रता और स्वछंदता में अंतर समझना अति आवश्यक

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** कुदरत ने यह सृष्टि नर और मादा से निर्मित की है,दोनों के अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के पूरक और बराबर हैं। नर-नारी दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे…

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राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के प्रतीक में राजभाषा अधिनियम के प्रावधान के उल्लंघन की शिकायत

मुम्बई(महाराष्ट्र)। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के प्रतीक(लोगो) में राजभाषा अधिनियम के प्रावधान के उल्लंघन की लोक शिकायत की गई है। इसमें पत्र के जरिए पिछली शिकायतों का भी उल्लेख किया…

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मन बन जा तू पारखी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** नयन किसन के तक रहे,राधा को अविराम।माधव राधा हो रहे,राधा श्यामल श्याम॥ रघुकुल की महिमा बड़ी,सत ही सत चहुंओर।एक घाट पानी पियें,केहरि,मानुष,ढोर॥ गौरवशाली है रहा,भारत का इतिहास।सूली…

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