नि:स्वार्थ था विद्यार्थी जीवन
संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष …….. तेरा-मेरा,जाति-पातीबन गया लाभार्थी जीवन,नि:स्वार्थ था कभी वो-मेरा विद्यार्थी जीवन। जेब थी ख़ाली,वित्त नहींसंग थे चित्त,चित्त नहीं,ऊंची उड़ान भरा था वो-मेरा विद्यार्थी जीवन। चिंता थी चित्त चोर कीपढ़ाई के घर में शोर की,आगे बढ़ने की होड़ की-बिन पैसे मस्ती दौड़ की। परीक्षा पास तो जागे रातोंकभी मोहब्बत … Read more