घर-आँगन प्रेम बरखा
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प:मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२,पदांत-रहे;सामंत-आते छाए मेघा प्रेम की विश्वास गहराते रहे,पात चमकीली बहारा बूंद ठहराते रहे। क्यारियों दिल बीच एहसास के पौधे लगा,सींच शीतल बोलियाँ फौहार बिखराते रहे। नयन नौका पाल खोलो आंधियां अनुराग की,ज्वार आये प्यार सागर और लहराते रहे। पिंजरे पर नेह दाने हो भरे इतने सदा,छोड़ उड़ने मन … Read more