गृहलक्ष्मी के चरण

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** वंदन होता जहां ज्योति का,रहता अमर प्रकाश वहीं।जहां नारियों का पूजन है,देवों का आवास वहीं॥ गृह लक्ष्मी के चरण जहां हैं,ममता का मधुमास वहीं।करुणा,समता,शुचिता,मृदुता,प्रभुता का आभास वहीं॥ घर-घर मिलती दिव्य-भावना,क्षमा,शांति नारी से ही।सुख के सुमन और फल मिलते,केवल इस क्यारी से ही॥ पत्नी है वह स्रोत,जहां से,स्रवित सदा समरसता है।पत्नी है वह … Read more

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद…!

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** बात लगभग २०१० की है,जब मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में परास्नातक करने के लिए प्रवेश लिया। उस समय मैं बकायदा ढीली शर्ट और सामान्य पेंट पहनता था। ढीली-ढाली शर्ट पैंट पहनकर बकायदा गले में सफेद अंगौछा डालकर महाविद्यालय जाया करता था। मैंने शहर के ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबंधित महावीर प्रसाद … Read more

उजाले रहे

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* जीवन में गमों के न अंधेरे रहे,साथ यादों के तेरे उजाले रहे। हँसते-मुस्कुराते बीते हर पल,ख्वाब जो देखे सच सारे रहे। अन्नदाता मुस्काए फसल देख,खेत सरसों के सारे पीले रहे। मुफलिसी रहे घर के बाहर ही,खुशियाँ सदा ही घर को घेरे रहे। कोई भी अकेला न हो ‘विनोद’,संग जो अपने तो … Read more

बचपन

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** हुआ यूँ कि रोज की तरह आज भी मैं डयूटी जाने के लिए अपनी बाईक से घर से निकला। जैसे ही मुख्य सड़क पर आया,सड़क किनारे खड़े दो छोटे- छोटे बच्चों ने मुझसे बस स्टैण्ड तक ले चलने के लिए लिफ़्ट मांगी। उनके लिफ़्ट मांगने के तरीक़े से ही समझ में … Read more

बरगद की घनी छाया पिता

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बरगद की घनी छाया है पिता,छाँव में उसके भूलता हर दर्द। पिता करता नहीं दिखावा कोई,आँसू छिपाता अन्तर में अपने।तोड़ता पत्थर दोपहर में भी वो,चाहता पूरे हों अपनों के सपने।बरगद की घनी छाया है पिता,छाँव में उसके भूलता हर दर्द…॥ भगवान का परम आशीर्वाद है,पिता जीवन की इक सौगात है।जिनके सिर पे नहीं … Read more

हमारी संस्कृति

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** भारत नित ही विश्वगुरू है,देता सबको ज्ञान।संस्कार भारत के पाते,सबसे ही सम्मान॥ नीति और नैतिकता मोहक,हम सबसे सुंदर,पश्चिम से भारत के बेहतर,कला और विज्ञान। मानवता को हमने जाना,हिंसा को त्यागा,करुणा,दया,सत्य,मर्यादा,सद्कर्मों की आन। पूजा हमने चाल-चलन को,जीना सिखलाया,देह नहीं है रूह की भाषा,नैतिकता का मान। तीज और त्यौहारों से तो,चोखा बना … Read more

उदास मुझे होना नहीं

अमृता सिंहइंदौर (मध्यप्रदेश)************************************************ हूँ मैं उलझनों में कई,लेकिन उदास है मुझे होना नहीं। ये तो वक़्त है रेत-सा…पल में फ़िसल जाएगा,होगा नया सवेरा,सूरज फिर उग आएगा।आस तू ये खोना नहीं… छोड़ साथ आशाओं का,निराश तू होना नहीं।सत्य तू कल था,सत्य तू आज है…सत्य तू आगे भी होगा,पूर्ण यह मुझे विश्वास है।आस तू ये खोना नहीं… … Read more

हमने इक़रार किया

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ उसने इज़हार किया हमने इक़रार किया।इस तरह से प्यार हमने यार किया। कोशिश नहीं की,न ही तकल्लुफ़ उठाया,हद इतनी थी नजरों से भी न इन्कार किया। उसकी आँखें भरे मय के प्याले लगे,जुबाँ जो खुली तो बस इरशाद किया। वो बोलते रहे बज़्म सुनती रही बेसुध-सी,बेहिसाब इस क़दर बयाँ अशआर किया। हम नाचते … Read more

केदारनाथ-एक सफर खास

क्रिश बिस्वालनवी मुंबई(महाराष्ट्र)******************************** एक सफर खास हो,जिगरी यार साथ होहाथ में चाय का गिलास हो,और सामने केदारनाथ हो।केदारनाथ तक का सफर हो,और साथ में तुम हमसफर होतारों से भी चाँदनी रात हो,तुम साथ बैठो और सामने केदारनाथ हो।स्वर्ग कहूँ या केदारनाथ,बात तो एक ही हैमैं इश्क़ लिखूं तो,तुम केदारनाथ समझ लेना।बीमार जिंदगी दवा मांग रही … Read more

सुन लो हे गोपाल

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************** सुन लो हे गोपाल अब,विनती बारम्बार।भवसागर नैया फँसी,आज लगाना पार॥ मनमोहन हे साँवरे,कृपा सिंधु भगवान।आये तेरे द्वार पर,दीन-हीन इंसान॥ मोर पंख मस्तक मुकुट,वैजन्ती गल माल।पीताम्बर काँधा धरे,मुख मुरली गोपाल॥ दधि माखन मुख पर लगे,दौड़े आँगन द्वार।बाल रूप मनमोहना,मोहित सब संसार॥ झुला रही है पालना,माता यशुमति श्याम।साथ रोहिणी की तनय,झूल रहा … Read more