अनुशासन विजयी जगत

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय **************************************** अनुशासन की नित कमी,लोभ घृणा उत्थान।प्रतीकार में जल रहा,शैतानी हैवान॥ अनुशासन बिन छात्र अब,निर्भय बन परिवार।मानक बस उत्तीर्णता,मनोयोग लाचार॥ आजा़दी मतलब नहीं,अनुशासन अवमान।मोटर गाड़ी अधिनियम,जीवन…

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दर्द पिता का जाने कौन ?

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** दर्द को दबाना और उमड़ते अश्रुओं को छुपा जानावो चला जा रहा दूर राम और दशरथ का चला जाना,सुना होगा धोखे से कर दिया पुत्र अभिमन्यु…

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माँ-बाबा भगवान

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** भगवान का अनोखा स्वरूप,माँ-बाप के रूप में पायाउनके स्नेह और दुलार ने-आत्म-विश्वास जगाया। संस्कारों से मुझे रिझाया,संघर्षों में भी आगे बढ़ायाहर मोड़ पर सीख और प्रेरणा-नई…

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विनय कर भाग्य जगाओ

मनोरमा चन्द्रारायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* करूँ ईश गुणगान,विनय कर साँझ-सवेरे।कृपा करो श्रीनाथ,द्वार हैं आए तेरे॥करते भक्त पुकार,हृदय में आस जगाएँ।करें कामना पूर्ण,सभी शुभ फल को पाएँ॥ विनय भाव मन धार,कृत्य अनुपम ही करना।राग-द्वेष…

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मातृभाषा के बिना व्यक्ति-राष्ट्र का समुचित विकास संभव नहीं…

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** मातृभाषा दिवस विशेष-भाग १ विश्व में संभवत: कोई ऐसा वैज्ञानिक, शिक्षाविद,दार्शनिक,चिंतक अथवा भाषाविद् नहीं होगा जिसने मनुष्य के विकास के लिए मातृभाषा के महत्व को स्वीकार…

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हे माता,कर दो उजाला

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************************ हे शारदा माता शरद कीपूर्णिमा-सा कर दो उजाला,तार कर दो वीणा के झंकृतमन मेरा हो जाए शिवाला। घोल दो वाणी में शहद किहो जाए कंठ…

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समंदर का दर्द

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* समंदर दर्द अपना हर किसी से कह नहीं सकता।करोड़ों मील में फैला मगर वो बह नहीं सकता। तमन्ना यह लिए वो जा बसा मज़लूम आँखों में,सिमटकर…

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छुप गया कोई

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ छुप गया कोई रे,हमें दूर से पुकार के,काहे बुलाया तूने,मुझे बाँहें पसार के। छुप गया कोई रे,दिल से पुकार के,दे गया हाय,दिल में दर्द हजार के।…

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चुपचाप रह गए तब वो

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************** अपना विवाह मीत,तुझसे रचाऊँगा मैं,बोल उठे रूप मेरा,देख लिया जब वो।अपना लगा दिमाग़,कामना सुनाया एक,देखते ही एकटक,मुझको गजब वो।ऑडी ले आओगे तो चलूंगी मैं लॉन्ग ड्राइव,सुन-सुन…

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बिल्ली और चूहा

डॉ. हंसा दीपटोरंटो (कैनेडा)************************** बीड़ी के कश खींचता हुआ वह लगातार ताक रहा था उस ओर,जहाँ आकाश और धरती एक होने जा रहे थे। सुबह की चहल-पहल शुरू हो गई…

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