सम्बन्ध अस्तित्व का अनस्तित्व से

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* अल्हड़ता थी उन्मुक्तता थी,भोलापन और स्वच्छन्दता थीमन था!! अतल गहराईयां नहीं,बचपन था गम्भीरता नहींछोटे-छोटे से ख्वाब थेखेल और खिलौनों के।बचपन बीता,वक्त बदला-प्रारम्भ हुआ जन्म इच्छा का,आँखों में उतरा इक सुन्दर-सा ख्वाबउसे पाने को हुआ मन बेकरार,तस्वीर स्पष्ट नहीं थी-थी शून्यता और आकारहीनता।इच्छाओं से जन्मा बीज-बीज से अंकुर,मन ने पहचान लिया … Read more

अंहकार नहीं,सौहार्द्र ही जीवन

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. अहंकार का नशा बहुत मतवाला होता है,मनुष्य नहीं,स्वयं का ही रखवाला होता है।सौहार्द,स्नेह,प्रेम,सहयोग ही है सफल मन्त्र-अहम क्रोध,केवल बुद्धि का दिवाला होता है॥ वो कहलाता सभ्य सुशील,जो सरल होता है,वो कहलाता विनम्र शालीन,जो तरल होता है।इसी में है बुद्धिमानी कि,व्यक्ति प्रेम से रहे-वही बनता सर्वप्रिय,जो नहीं गरल … Read more

प्यारा-सा बन्धन

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. रमा आज बहुत खुश थी,कल उसकी मनु की शादी है। ऐसा लग रहा है शायद कभी और किसी की शादी ही ना हुई पहले। रमा बीते दिनों की यादों में खो गई… जब वह इस हवेली में शादी करके आई, तब बहुत रौनक थी। सास,जमींदार ससुर,दो प्यारी … Read more

सौहार्द बनाम मानवतावादी ऊँची सोच

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. ‘धर्मों रक्षति रक्षति:,तयो धर्मस्ततो जय:।’ अर्थात् राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है।‘जो भरा नहीं है भावों से,बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है,जिसमें ‘स्वदेश’ से प्यार नहीं।’ स्वतंत्रता प्राप्ति के २९ वर्ष के बाद १९७६ में भारतीय संविधान के ४२वें संशोधन … Read more

क्या खोया,क्या पाया!

श्रीमती चांदनी अग्रवालदिल्ली***************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. ‘कोरोना’ काल में कई परिवारों ने अपनों को खोया है। किसी ने माता-पिता को,तो किसी ने अपनी संतान को खोया है। कुछ परिवार कोरोना की चपेट में आए,परंतु धीरे-धीरे स्वस्थ हो गए।बात उन परिवारों की करें,जो कोरोना से पूर्णत: बचे रहे। आप क्या सोचते हैं क्या यह … Read more

परस्पर हित की कामना ही सौहार्द

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. सौहार्द का उद्गम या उद्भव संस्कृत से है,जिसका अर्थ है हृदय की सरलता या सद्भाव जो हमें माँ व उसके बच्चों के बीच में तो देखने मिलता ही है, लेकिन इसके अलावा आपसी मित्रता में भी देखने मिलता है। अब आपसी मित्रता २ व्यक्ति के बीच … Read more

बरसात…अभी आओ ना

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** भरी बरसात का मौसम है,अभी जाओ ना,यही तो प्यार का मौसम है,अभी जाओ ना। जला रही है ये बूँदें सुनो अंतस मेरा,मुझे यूँ छोड़ अकेले तो अभी जाओ ना। घटाएं छा रही ये बिजलियाँ डराती हैं,न जाओ छोड़ के यूँ,लौट के आ जाओ ना। बिना तुम्हारे ये सावन मैं गुजारूँ कैसे,जान … Read more

पिता आप भगवान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** आनंदित कुल पूत पिता पा,किया समर्पित जान सदा है।पिता त्याग सुख शान्ति जिंदगी,पूरण सुत अरमान लगा है। लौकिक झंझावात सहनकर,पिता सदा चुपचाप सहा है।धूप वृष्टि या शीत विषमता,यायावर संताप सहा है। पूत चढ़े सोपान लक्ष्य पथ,पिता सतत अपमान सहा है।कर्ता-भर्ता जनक तनय बन,स्नेह सलिल सन्तति सींचा है। संवाहक परिवार … Read more

लड़ता है खुद जंग हमेशा

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** अंदर ही अंदर घुटता है,पर ख्वाहिशें पूरा करता हैदिखता ऊपर से कठोर,पर अंदर नरम दिल होता हैऐसा एक पिता हो सकता है। कितना वो संघर्ष है करता,पर उफ किसी से नहीं करतालड़ता है खुद जंग हमेशा,पर शामिल किसी को नहीं करताजीत पर खुश सबको करता है,पर हार किसी से साझा न करताऐसा … Read more

भारत भू के कर्णधार

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* सरहद प्रहरी सैनिक कुमार,मेरे उपवन की नव बहार,भारत माता के शांति दूत,हे भारत भू के कर्णधार। उत्थान-पतन से दूर रहो,भौतिक सुख की ना चाह रखो,तुम सैनिक सदा जटिल पथ के,हरदम दुगना उत्साह रखो।टिक सके न सम्मुख कोई भी,तुम रण सज्जित हो बार-बार,हे भारत भू के कर्णधार…॥ क्या चिंता कुपित दृष्टि की … Read more