‘पेड़ से दोस्ती कोई करता नहीं…’

मंडला(मप्र)। कोरोना काल भी कवियों की आवाज़ रोक न पाया और घर बैठे कवियों ने गूगल मीट पर कविताओं का आनन्द लिया। एक से बढ़कर एक रचनाएँ पढ़ी गई। बारिश की फुहारों के मध्य रोमांचित कवियों ने विविध रसों की कविताएं पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।इस कवि सम्मेलन के विशेष अतिथि धीरेन्द्र जोशी (महू) … Read more

जंगल नाम दूं…?

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** फैल रहे हैं ये शहर,देख-देख कर मैं हैरान हूँ,हर तरफ है भीड़,पर लगता खुद को वीरान हूँबसे जा रहे हैं ये शहर,इनको ही मैं जंगल कहूँ,या उजड़ गए जो इन्हें बसाने,उसे जंगल नाम दूं। घने हरे-भरे विशाल जंगल,बने एक कहानी अब,रो रहे हैं ये जमीं-ये आसमां,दांस्ता सुनानी अबलूट के हरियाली,इन बसे … Read more

समझा दे मुझे

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** कुछ समझ आता नहीं तू लिख के समझा दे मुझे।इश्क़ के दस्तूर क्या हैं यार ‘बतला दे मुझे। राहे ह़क़ से कोई आख़िर ‘कैसे भटका दे मुझे।मैं दीया तो हूँ नहीं जो फूँक भड़का दे मुझे। तू तो मेरी जानेमन है तू तो कर ‘ऐह़सान कुछ,दाग़ ‘दे या ज़ख़्म दे,पर सबसे … Read more

सारी उम्र गुज़ारी मृगतृष्णा में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************* सारी उम्र गुज़ारी हमने,जीवन मृगतृष्णा में हारीसब जीवों में मानव उत्तम,पायी पलभर जीवन प्यारी। लोभ मोह फँस झूठ-कपट में,सब खुशियाँ सुखद गँवायीसब शान्ति प्रेम मुस्कान अधर,हमने लालच पड़़े मिटाई। पद सत्ता चाहत रख मन में,हमने घृणा द्वेष फ़ैलाईहिंसा दंगे धोखा अविरत,जग मानवता मूल्य घटाई। संवेदशून्य आगत विपदा में,इन्सानियत ज़मीर … Read more

पुष्प और इंसान

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** पुष्प प्रकृति का दिया,हमको एक वरदान हैइसको मत समझो निर्जीव,इसमें भी जान है। पुष्प और इंसान का,गहरा नाता हैपुष्प खुशी और गम,दोनों में साथ निभाता है। मिलती है जीत तो,पुष्पों का हार पहनाया जाता हैमर गए तो अर्थी को,पुष्पों से सजाया जाता है। पुष्प को हम भगवान को,अर्पित करते हैंअपने … Read more

‘मैं तो राम बनूँगा…’

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** यादों का झरोखा….. कितना प्यारा लगता है ना अपना बचपन याद करना। वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी…धागे से बाँधकर कागज़ की नाव को तैराना…पहलदूज खेलना,रस्सी कूदना, गिट्टे और स्टापू खेलना,छुपम-छुपाई,लंगड़ी टांग…।जिस दिन इकन्नी मिल जाती थी,उस दिन तो हम अपने-आपको शहंशाह समझते थे। उस इकन्नी में एक सप्ताह तक … Read more

हर बीमारी की दवाई शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति ही

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** आज इतने महीनों तक हमने अनेक विशेषज्ञों की ‘कोरोना’ पर सलाह को टेलीविजन पर सुना व अखबारों में भी पढ़ कर समझा है,इसके अलावा अनेक वो जो एकांतवास से मुक्त हुए,उनके अनुभव भी सुने। निष्कर्ष यही समझ में आया कि जिसकी इम्युनिटी(शरीर की स्वयं रोगों से लड़ने की ताकत) अच्छी होगी,उसे … Read more

पर्यावरण दिवस पर हुआ ऑनलाइन सम्मेलन

मंडला(मप्र)। पर्यावरण संवर्धन एवं उसके महत्व को बनाए रखने हेतु जागरूकता का संदेश फैलाने व जनमानस में चेतना प्रसारित करने की दिशा में ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिल्ली मातृका विवेक साहित्यिक मंच (पंजीकृत) द्वारा पर्यावरण दिवस पर आयोजित किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर देश के गणमान्य रचनाकारों ने इसमें सहभागिता की।आयोजन में सभी … Read more

सरल नहीं है कर्म

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सरल नहीं है कर्म यहांगरल कर्म भाव है,धर्म की राह पर भी-धर्मराज पितृ न छाँव है। दोष पितृ मढ़े गएअपनों को ही मार कर,संग हरि थे वो सभी-उर लगे तब भी घाव हैं। राजपाट मिल गयाबचें न घर पाँव है,धर्म की विजय हुई-मातम कर्म भाव है। पराक्रम और कर्म सेजो थे वो … Read more

रखना उर उम्मीद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************* रखना उर उम्मीद तू,तब पाएगा जीत।अगर निराशा पाल ली,तो हारोगे मीत॥ जीवन इक संघर्ष है,लड़ता जा तू यार।उम्मीदों को ले बना,विजयश्री उपहार॥ उम्मीदें पतवार हैं,कर देती हैं पार।वरना इंसां डूबता,सदा बीच मझधार॥ उम्मीदों से आत्मबल,उम्मीदों से वेग।उम्मीदों से ही मिले,नित खुशियों का नेग॥ उम्मीदें उजियार हैं,परे करें अँधियार।उम्मीदों को थाम … Read more