मासूम माँ
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ अपने जब शत्रु हो जाते हैं,वो बड़े भारी पड़ जाते हैं।हारना तो निश्चित हो जाता हैहम बहुत बेबस हो जाते हैं।घर-घर महाभारत चल रही है,आज भाइयों के साथ-साथ,बहू भी सास को छल रही है,जो हम कमाए बरसों-बरस से-बहू एक दिन में छीन रही है।क्यों बहू को सास नहीं सुहाती,वही तो बहू को ब्याह … Read more