आँखें बोलती है

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** मुँह से ज्यादा,आँखें बोलती हैदिल के सारे राज,खोलती हैl किसी के प्रति घृणा,किसी के प्रति प्यारआँख हर चीज,बयां करती है मेरे यारl उनकी आँखों की…

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क्या तुम…?

डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’वाराणसी(उत्तरप्रदेश)****************************************** क्या तुम सच में प्यार करोगे ?या मारोगे और मरोगे ?? सच बतलाओ झूठ न बोलो,क्या मुझको स्वीकार करोगे ?? सोच-समझकर बतलाओ प्रिय,क्या मुझ पर एतबार…

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संकल्प शक्ति ही जीत

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* अल्फ़ाज़ महक जायें तो लगाव बहक जायें तो घाव देते हैं,मौका और दस्तूर देख कर ही शब्द भाव देते हैं।शब्द ही मरहम और हैं तीर-तलवार जैसे भी-यही…

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नया सवेरा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ******************************************************* (रचना शिल्प:मात्रा भार १६+१६ हर पंक्ति) जिस दिन बिटिया घर आएगी,उस दिन नया सवेरा होगा,गोद में आकर मुस्काएगी,उस दिन नया सवेरा होगा। नया-नया अरुणोदय होगा,आँगन में…

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प्यार का नाम जीवन

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ नागपुर(महाराष्ट्र) ******************************************** ईश का दिया यह जीवन,जन्मों के संचित,पुण्य का वरदान।विवाह की पवित्र,वेदी परगठबंधन बाद शुरू,होता दाम्पत्य जीवनll स्नेह,दुलार,नाजों से पली गुड़िया,माता-पिता,परिवार छोड़ आती।नये परिवार वाले,ससुराल…

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समझ ना पाता हूँ…

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* हे कृष्ण लिखूं मैं क्या तुम पर,मैं कुछ भी समझ ना पाता हूँजीत लिखूं या हार लिखूं,मैं संशय में रह जाता हूँकंस का…

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रूह से रूह तक

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** रूह से निकलती हैजब 'आह',शब्दों को मिल जाते हैं अर्थ-बन जाती है कविता। शब्दों की ध्वनि सेकविता में ढलता है गीत,आत्मा में मिलकर-बन जाता संगीत। संगीत में…

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प्रगति के चश्मे से देखेंगे तो ही भारतीय भाषाओं का विकास हो सकेगा

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)*************************************** विश्व हिंदी दिवस के प्रस्तावक वीरेंद्र कुमार यादव से मुलाकात एक बार फिर इसी सप्ताह विश्व हिंदी दिवस का आगाज होने जा रहा है। वर्ष २००६…

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तुम्हारा क्या नाम लिख दूं ?

अनिरुद्ध तिवारीधनबाद (झारखंड) *********************************** काव्य संग्रह हम और तुम से... मेरी ग़ज़लों में,तुम्हारा,क्या नाम लिख दूं ?पहर कौन-सा है ? सुबह लिखूं या शाम लिख दूं ?कुछ बातें अधूरी,रह गई तख्त पर,जो…

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संभव

मनोरमा चन्द्रारायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* सारे संभव कार्य को,कर लेना अति खोज।समय साथ फल शुभ मिले,ध्येय मिले नित रोजll संभावित परिणाम से,हुआ दुखी मन आज।नयन अश्रु से भर गया,बाधित है सब काजll संभव…

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