हमारे त्यौहार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** बहुत पुरानी रीत है,भारत के त्योहार। सभी मनाते प्यार से,खुशियों की बौछार॥ भाँति-भाँति के लोग हैं,उनके रीत-रिवाज। सभी धर्म समभाव से,करते हैं मिल…

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हम मन से खारे नहीं

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* यूँ तो सागर हैं हम पर मन से खारे नहीं, मौजों में ही जीते हैं हम किनारे नहीं... अपने दिल को जलाकर रोशनी देते…

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भारतीय

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय'आलोक' अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** युद्ध नहीं है धर्म हमारा, हम तो शांति पुजारी हैं। छेड़ा अगर किसी ने तो, नहीं छोड़ने वाले हैंll चिंगारी को छेड़ोगे तो, बन ज्वाला…

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झूठे सपने हैं सब

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** कहने को अपने हैं सब। मगर झूठे सपने हैं सब। मन मंदिर है मेरा अपना, विरोधी घंटे बजने हैं सब। पापों का…

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नम्रता

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** अहम भावना शून्यता, है नम्रता प्रतीक... कठिन काम भी नम्रता, कर देती है ठीक। निराभिमान और नम्रता, देती पोषक तत्व... कायरता है ये नहीं, ये…

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नफरतों को हटा दीजिए

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** पेड़ हर मोड़ पर इक लगा दीजिए। कुछ धरा का प्रदूषण घटा दीजिये। और कुछ खूबसूरत बना दीजिए। नफरतों को वतन से…

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कथाकार सुमन ओबेराय के नाटक संग्रह ‘यह भी खूब रही’ का विमोचन किया वरिष्ठ साहित्यकार राजेश जोशी ने

विशेष अतिथि कथाकार डॉ.स्वाति तिवारी ने कहा-नाटक,लोक चेतना के सबसे निकट   भोपाल(मध्यप्रदेश) | सुप्रसिद्ध कथाकार-नाटककार सुमन ओबरॉय के हास्य व्यंग्य नाटक संग्रह 'यह भी खूब रही' का विमोचन यहां…

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खूबसूरत है कश्मीर

दीपा गुप्ता ‘दीप’ बरेली(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** इस बार होली पर कहीं बाहर घूमने के लिए बच्चे काफी से दिन कह रहे थे काफी समय से सपरिवार कहीं बाहर जाना नहीं…

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नियति से हारा नहीं हूँ…

अनुपम आलोक उन्नाव(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** जलधि-सा उन्मुक्त मैं ! पर- चित्त से खारा नहीं हूँl चातकों-सी साधना है- नियति से हारा नहीं हूँll पीर! पर्वत बन भले ही- व्योम से कर…

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सागर

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  *********************************************************************** विशालता का द्योतक है सागर,बाकी अब मैं क्या कहूं, सहनशीलता का प्रेरक है सागर,इससे ज्यादा क्या कहूं। ओ तड़पते नदियों को देता है…

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