भारतीय:भावुक और भुलक्कड़ भी…
तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** हम भारतीय भावुक ज्यादा हैं या भुलक्कड़..! अपने देश में यह सवाल हर बड़ी घटना के बाद पहले से और ज्यादा बड़ा आकार…
तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** हम भारतीय भावुक ज्यादा हैं या भुलक्कड़..! अपने देश में यह सवाल हर बड़ी घटना के बाद पहले से और ज्यादा बड़ा आकार…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** विना ज़ान परवाह के,उड़ा व्योम निज यान। एफ सोलह को है गिरा,अभिनंदन अभिमान॥ आँचल फैलाया वतन,स्वागतार्थ जन आम। शहीद अभिनंदन करे,अभिनंदन अभिराम॥ आओ…
अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************** घर-बाहर या प्लॉट सड़क,हर जगह मौत के साये हैं, हमने ही तो आँख मूँदकर,घातक जाल बिछाये हैं। साफ-सफाई रखकर के,बीमारी दूर भगानी है, जीवन जीने…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* मुझको भाती है सदा अपने वतन की ख़ुशबू, जिसपे क़ुर्बान है हर एक चमन की ख़ुशबू। पाक के टुकड़े किये देश नया…
श्रीकृष्ण शुक्ल मुरादाबाद(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************** तुम सीमाओं को लाँघ गए,अरि विमान का करने मर्दन, तुम किंचित भी भयभीत न थे,हे वीर तुम्हारा अभिनंदन। तुम छोटे से विमान पर थे,सम्मुख था उन्नत…
डॉ.रीता जैन’रीता’ इंदौर(मध्यप्रदेश) *************************************************** एक अंकल को दोस्त के बेटे की शादी के समारोह में जाने का मौका मिला। स्टेज पर खड़ी ख़ूबसूरत नयी जोड़ी को आशीर्वाद देकर नीचे उतर…
पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’ मुंबई(महाराष्ट्र) **************************************************************************** शादी के रिश्तों ने अपनी दस्तक कामिनी की १२ वीं की परीक्षा से पहले ही दे दी। ना जाने कहाँ-कहाँ से रिश्ते आए,मगर कभी…
डॉ.जियाउर रहमान जाफरी नालंदा (बिहार) *********************************************************************** खाये इतना सुबह से शाम, मोटे हो गये पतलूराम। नहीं ज़रा-सा अब चल पाते, बैठे-बैठे बस सो जाते। जहां कभी भी वो घर से…
विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** 'धूप आँगन की' सात खण्ड में विभक्त एक ऐसा गुलदस्ता है,जिसमें साहित्यिक क्षेत्र की विभिन्न विधाओं के फूलों की गंध को एकसाथ महसूस करके आनन्द लिया…
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अभिशापित और दुखी हूँ अपने-आप से। जैसे शनि का युद्ध था अपने ही बाप से। कर्मों का फल है दोष कहां पड़ोसियों…