क्या कहूं…!
अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** जब-जब आती है बारिश,मन कहे कि देखता रहूंयाद आती है वो बारिशें,मन फिर से भीग जाता हैकितना मजा, के क्या कहूं…! पोते को स्कूल छोड़ने जब,जाता हूँ तब…
अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** जब-जब आती है बारिश,मन कहे कि देखता रहूंयाद आती है वो बारिशें,मन फिर से भीग जाता हैकितना मजा, के क्या कहूं…! पोते को स्कूल छोड़ने जब,जाता हूँ तब…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** मन की चिड़िया जो फुदक-फुदक,जो पंख खोल मदमाती हैबेताब तमन्ना नव उड़ान,उन्मुक्त गगन उड़ जाती है। बस ध्यान रखो मत रोको मन,उन्माद विरत उड़…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** परिंदों पर एतबार कैसे,यह तो उड़ने की लत से सराबोर रहते हैंमुश्किल वक्त में तन्हां रहने पर,आसमां में उड़ान भरने लगते हैं। अब तो दुःख इस बात का है,बच्चे…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* ज़िन्दगी मत अजाब कर लेना।साफ़ सुथरा हिसाब कर लेना। योजना ठीक से बना तो लो,काम करना जनाब कर लेना। पाँव रखना संभाल कर अपने,नाम…
मुम्बई (महाराष्ट्र)। कीर्ति शेष महाकवि डॉ. कुॅंअर बेचैन की स्मृति में देश का पहला साहित्य सम्मान समारोह १५ से ३० अक्टूबर २०२२ के मध्य मुम्बई में आयोजित होगा। अखिल भारतीय…
वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ हिंदी और हमारी ज़िंदगी... पूर्वजों द्वारा प्रदत्त हमें हिंदी राष्ट्रभाषा उपहार मिला,स्वर्णाक्षरों में यह अपना अनुपम इतिहास बतलाती है। अंग्रेजी के छा जाने से कितनी पीड़ाएँ हैं इसने…
डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ हिंदी और हमारी ज़िंदगी... 'हिन्दी'… न सिर्फ एक 'भाषा',बल्कि भावनाओं का एक मर्म हैकभी विचारों की गहरी अनुभूति है,'हिन्दी'…एक सम्मान, एक विश्वास। एक 'धर्म', एक 'भाव'…
राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* हिंदी और हमारी ज़िंदगी.... जगतगुरु अभिज्ञान है हिंदी,भारत का सम्मान है हिंदीशब्दों का भंडार है हिंदी,जन-जन का अभियान है हिंदी। सूरदास की दृष्टि हिंदी,मीरा के पद मिष्टी…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* दादा-दादी का खिलौना बन कर आई,खेली थी जिनसे, खिलाने उनको आई। पहले दादा खेलते थे कितना जग में,तब तो माँ थी मैं अभी पोती…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** भारत विश्वगुरु और आत्मनिर्भर.... भारत जो कभी 'विश्व गुरु' कहलाता था…जिसकी सभ्यता और संस्कृति का सारी दुनिया लोहा मानती थी। हमारे वेदों ने वे आविष्कार हजारों वर्ष…