गणेश विसर्जन

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** गली में जोर-शोर से गणपति विसर्जन की तैयारी हो रही थी। ढोल बज रहे थे। रथ में शोभित गणपति जी की प्रतिमा और पीछे पुरुष-स्त्री व बच्चों…

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बनो जीवन नैया पतवार

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:मात्रिक छंद वर्ण १६-१६=३२... बहुत ही प्यारा है परिवार,भरा-पूरा है घर-संसारबुजुर्गों की है इस पर छाँव,पिता खेते हैं घर की नावतुम्हीं अब हो सबके आधार,बनो जीवन…

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मेधावी बन सकें

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* जीवन बेहद अद्भुत है, असीम है, अगाध है। यह अनन्त रहस्यों को संजोए एक विशाल साम्राज्य है, जहाँ मानव कर्म करते हैं। कुछ परीक्षाएं उत्तीर्ण…

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मंगल

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* मंगल करते सृष्टि का, वीर बली हनुमान।दु:खभंजन करते सभी, करता जग गुणगान॥करता जग गुणगान, दुष्ट डरकर के भागे।कर लें उनका ध्यान, रहें दुनिया में आगे॥कहे नवल…

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बार-बार हिन्दी दिवस मनाया जाना चाहिए

हिन्दी पखवाड़ा-सह-पुस्तक चौदस मेला... पटना (बिहार)। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के विद्यार्थियों के मन में एक हीन-भावना आ रही है। वे ये समझने लगे हैं कि अंग्रेज़ी के बिना…

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ज्ञान अनमोल खजाना

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** ज्ञान एक अनमोल खजाना,जो लिखना-पढ़ना सिखाएजितना दान करो ये खजाना,उतना ही बढ़ता ये जाए। ज्ञान ज्योति से प्रज्वलितमन, अन्धियारा दूर भगाएसत्य असत्य का भेद बता,जीवन-राह सुगम बनाए।…

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क्या है यह प्रेम

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कोई बता दे, क्या है यह प्रेम-प्यार,क्यों दुनिया इसके पीछे है बेकरारकाहे को दिल देता है, दिल लेता है,दिल के पीछे पागल हो के रोता है।…

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उसके तो ४-४ है…

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* एक दिन हमेशा की तरह दोस्त के साथ हमारे आफिस के बगलवाली चाय-समोसे की दुकान पर खड़ा होकर चाय और समोसे का आर्डर दे ही रहा…

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सेवा ही ईश्वर समझो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** भगवान सबकी आत्मा हैं,छल स्वार्थ मद खात्मा समझोभज तन मन वचन पुरुषार्थ है,परपीड़न बस सेवा समझो। पहचान स्वयं कर्त्तव्य है,प्राणी मात्र आत्मा समझोबस राष्ट्र…

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नदियाँ कराह रही

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** यह दरिंदगी प्रकृति प्रेम पर,तगड़ा व मजबूत प्रहार हैजनमानस में लगता है,एक भीतरघात सा खेल सा दृश्य,सम्बल और आक्रामक प्रहार है। नदि आज़ दुःखी हैं,बड़े दुखी मन से उसकाक्रंदन…

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