यादों का झ़रोखा
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** ख़्वाबों में थिरकते ये साये मजबूर करें जीने के लिये।ज़िन्दा हूँ फ़कत तेरी खातिर फिर से न तुम्हें खोने के लिये॥ कैसे मैं भुला सकता हूँ तेरी उन प्यारी-प्यारी बातों को,डूबी जो नशे में मदमाती तारों से दमकती रातों को।अब तक मैं तड़पता हूँ हमदम आगोश तेरा पाने के लिये,ख़्वाबों में … Read more