साहित्य अकादमी की नव पहल कृष्णकुमार अष्ठाना स्मृति प्रसंग

इंदौर (मप्र)। प्रख्यात बाल साहित्यकार कृष्ण कुमार अष्ठाना अब संस्कृति मंत्रालय के कला पंचांग में सम्मिलित होकर प्रतिवर्ष स्मरण किए जाएंगे। उनको यह श्रद्धासुमन बाल साहित्य विमर्श के रूप में प्रस्तुत किए जाएंगे। बाल साहित्य में रुचि रखने वाले सभी साहित्यकार एवं शोधार्थियों के लिए यह शुभ सूचना है कि राष्ट्रीय स्तर की यह संगोष्ठी … Read more

कुलाधिपति संतोष चौबे व डॉ. कर्णावट श्रीलंका में करेंगे हिन्दी पर बात

भोपाल (मप्र)। विदेश मंत्रालय (भारत सरकार) के स्वामी विवेकानंद सास्कृतिक केंद्र (कोलम्बो) द्वारा प्रथम भारत-श्रीलंका हिंदी सम्मेलन का आयोजन कोलंबो में ‘विश्व हिंदी दिवस’ पर किया गया है। इस सम्मेलन में रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे और अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्णावट को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। … Read more

राजा ही लूटे, ये कैसी अर्थ नीति ?

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन… वर्तमान में चुनावी कार्यकाल में सब दल दिल खोलकर जनता को प्रलोभन देकर चुनाव जीतना चाहते हैं। कोई न कोई दल सत्तारूढ़ होगा और उसके द्वारा इतनी अधिक सुविधाएँ देने की घोषणा जो बहुत अच्छा प्रयास है, पर जनता कितनी खुश और लाभप्रद होगी, यह नहीं मालूम है, लेकिन मध्यप्रदेश की जनता … Read more

राजनीतिक शुचिता के लिए चुनावी चोट आवश्यक

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन… किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रधान-मुखिया की आस्था पर निर्भर करता है। मुखिया का प्रभाव जनता पर पड़ता है और जनता की भावनाएं मुखिया पर पड़ती हैं। कोई भी मुखिया पूरे देश की जनता पर नियंत्रण नहीं कर सकता, और जनता अपने मुखिया (कैबिनेट और विधायक-सांसद) के क्रियाकलापों-आचरण पर … Read more

स्वतंत्रता:नैतिकता और देशभक्ति की बहुत जरुरत

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन…. स्वतंत्रता की भूमिका हमारे देश में १८५७ से शुरू हुई थी, जिसमें मंगल पांडेय, झाँसी की रानी जैसे हजारों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। उस समय एक ही लक्ष्य था कि, हमें गुलामी की जंजीरों से मुक्त होना है। अथक प्रयास और कुर्बानियों का सिलसिला चला जा रहा था। … Read more

धीमा जहर है मोबाइल लेकर सोना

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** विज्ञान वरदान के साथ अभिशाप भी होता है। आज मोबाइल हमारे जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है और जो उपयोग करते हैं, वे मोबाइल के व्यसनी हो जाते हैं। यह सामान्य बात है, और इस आदत के कारण हम शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और अनैतिकता के कारण अधिक हानियां उठा रहे हैं। … Read more

आत्महत्याओं का बढ़ना बदनुमा दाग

ललित गर्गदिल्ली************************************** विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (१० सितंबर) विशेष…. बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं एक ऐसा बदनुमा दाग है, जो हमारे तमाम विकास एवं शिक्षित होने के दावों को खोखला करता है। आत्महत्या शब्द जीवन से पलायन का डरावना सत्य है जो दिल को दहलाता है। इसका दंश वे झेलते हैं जिनका कोई अपना आत्महत्या कर … Read more

राष्ट्रीय चेतना जगाने आए थे धरती पर

ललित गर्गदिल्ली************************************** राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त) जन्म जयन्ती इतिहास और साहित्य में ऐसी प्रतिभाएं कभी-कभी ही जन्म लेती हैं, जो बनी बनाई लकीरों को पोंछकर नई लकीरें बनाते हैं। वे अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीते हुए नया जीवन-दर्शन निरुपित करते हैं और कुछ विलक्षण सृजन करते हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का व्यक्तित्व और … Read more

भविष्य सुरक्षित बनाने की पहल जरुरी

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** चिंतन…. १५ अगस्त १९४७ को इंडिया गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुआ और हमने अमन- चैन की सांस ली। उस समय सभी कौम ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। कुछ फिरक़ापरस्तियों के कारण बंटवारा हुआ और उसके पहले से ही नफरत के बीज अंकुरित होना शुरू हो गए थे। शुरूआती दौर में जातिय हिंसा, … Read more

अच्छा करने के लिए कष्ट आवश्यक नहीं

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** चिंतन.. दुनिया में अच्छा करने के लिए हमें इस जीवन में दु:ख की जरूरत नहीं है। हममें से कई लोगों का यह गहरा विश्वास है कि दुनिया में अच्छा करने के लिए हमें कष्ट सहना पड़ता है और त्याग करना पड़ता है। यह आमतौर पर माना जाने वाला विचार एक निश्चित मानसिकता से … Read more