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राजनीतिक शुचिता के लिए चुनावी चोट आवश्यक

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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चिंतन…

किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रधान-मुखिया की आस्था पर निर्भर करता है। मुखिया का प्रभाव जनता पर पड़ता है और जनता की भावनाएं मुखिया पर पड़ती हैं। कोई भी मुखिया पूरे देश की जनता पर नियंत्रण नहीं कर सकता, और जनता अपने मुखिया (कैबिनेट और विधायक-सांसद) के क्रियाकलापों-आचरण पर निर्भर करता है।

हमारे देश भारत की महिमा, इतिहास, संस्कृति महान से महानतम रही, है और भविष्य वर्तमान से बनता है, इसलिए वर्तमान का बहुत दुखद पहलू चिंतनीय व शर्मनाक है। ये कोई और कहने का साहस नहीं कर सकता है, बल्कि जो जानकारियां-सूचनाएं मिली, उसी से इसकी पुष्टि हो रही है।
देश की सर्वोच्च पंचायत (संसद) लोक सभा और राज्यसभा होती है, और उसमें सांसद होते हैं तो राज्यों में विधानसभा में विधायक होते हैं, जो देश की विधायिका का कार्य सम्पादित करते हैं, जिसके नियंत्रण में न्यायपालिका व कार्यपालिका होती है। यानि, संसद देश की भाग्य विधाता होती है।
हमारे प्रधानमंत्री जितना भ्रष्टाचार समाप्त करने की दुहाई देते हैं, उतना अधिक भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। यह रोग प्राचीन है, पर वर्तमान में यह चरमोत्कर्ष पर है। जबसे राजनीति सेवा की जगह व्यापार और अधिकार का मापदंड बनी, इस क्षेत्र में अकल्पनीय गिरावट आई है, जो स्वाभाविक है। आज सांसद, विधायक और पार्षद जनता के ऊपर जबरन आकर साम-दाम-दंड-भेद अपनाकर जीतते हैं। फिर खर्च की गई रकम (करोड़ों में) वसूलते हैं, और उसके बाद वे कितने बड़े जनसेवक कहलाते हैं, यह बात इस रिपोर्ट में देखने को मिली है।
ना केवल हत्या, बलात्कार, जमीन हथियाने से लेकर जितनी भी अपराध की श्रेणियाँ होती हैं, नेता उससे युक्त होते हैं। ये पद सदा सुहागन होते हैं, ये डोली में आते हैं और कन्धों पर जाते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार-
देश के मौजूदा ४००१ विधायकों की कुल संपत्ति ५४,५४५ करोड़ रुपए है, जो नागालैंड, मिजोरम और सिक्किम के २०२३-२४ के संयुक्त सालाना बजट से कहीं ज्यादा है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई है। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) और ‘नेशनल इलेक्शन वॉच’ (एनईडब्ल्यू) ने चुनाव से पहले विधायकों द्वारा दाखिल हलफनामे से यह आँकड़े जुटाए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि, ४०३३ विधायकों में से ४००१ के हलफनामों का विश्लेषण किया गया तो प्रति विधायक औसत संपत्ति १३.६३ करोड़ रुपए है। इनमें निर्दलीय और ८४ राजनीतिक दलों से जुड़े विधायक हैं।
बड़े दलों की बात करें तो भाजपा के १३५६ विधायकों में प्रति विधायक औसत संपत्ति ११.९७ करोड़ रुपए, कांग्रेस के ७१९ विधायकों में प्रति विधायक औसत संपत्ति २१.९७ करोड़ रुपए, तृणमूल कांग्रेस के २२७ विधायकों में प्रति विधायक औसत संपत्ति ३.५१ करोड़ रुपए एवं आम आदमी पार्टी के १६१ में प्रति औसत संपत्ति १०.२० करोड़ रुपए आदि पाई गई है।
‘सबसे अमीर’ विधायक के पास १४०० करोड़ की संपत्ति और ‘सबसे गरीब’ के पास २००० रुपए भी नहीं हैं।
मध्यप्रदेश के लिहाज से रिपोर्ट में जिक्र है कि, ४१ फीसदी ‘माननीय’ दागी हैं। २१ फीसदी माननीय तो ऐसे भी हैं जिन पर गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। मप्र में शीघ्र ही चुनाव होने हैं तो एक बार फिर माननीयों के चरित्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट बता रही है कि, मध्यप्रदेश के ४१ फीसदी माननीयों यानि २३० में से ९४ पर आपराधिक प्रकरण पंजीकृत हैं, जबकि २१ फीसदी ऐसे भी हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।
इस विश्लेषण में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित परेशान करने वाले आँकड़े भी सामने आए। रिपोर्ट में बताया गया है कि, कुल ११ विधायकों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिनमें से १४ ने विशेष रूप से बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
विश्लेषण से संबंधित ४००१ विधायकों में से ८८ (२ प्रति.) अरबपति पाए गए, जिनके पास १०० करोड़ से अधिक की संपत्ति है। इसमें कर्नाटक शीर्ष पर है जहां ३२ विधायक (१४ प्रतिशत) अरबपति हैं।
रिपोर्ट के अनुसार-केरल के बाद बिहार में सबसे ज्यादा दागी सांसद हैं। बिहार के ५६ सांसदों में से ४१ के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे ही महाराष्ट्र के ६५ सांसदों में से ३७ दागी हैं तो तेलंगाना में २३ में से १ ३व दिल्ली के १० में से ५ के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
रिपोर्ट के अनुसार-बिहार की सत्ताधारी पार्टी राजद में सबसे ज्यादा दागी सांसद हैं। राजद के ६ में से ५ सांसद दागी हैं। दूसरा नंबर वामपंथी दल का है, जिसके ८ सांसदों में से ६ के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे ही भाजपा के ३८५ सांसदों में से १३९ दागी हैं। कांग्रेस के ८१ में से ४३, टीएमसी के ३६ में से १४, आआप के ११ में से ३ तथा एनसीपी के ८ में से ३ सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा-राज्यसभा के हर सदस्य के पास औसतन ३८.३३ करोड़ रुपए की संपत्ति है। इस तरह हमारे देश का हर सांसद करोड़पति है। वहीं ५३ सांसद अरबपति (कुल सांसदों का ७ फीसदी) हैं, जबकि तेलंगाना के सांसद सबसे ज्यादा अमीर हैं। उक्त २४ सांसदों की औसतन संपत्ति २६२.२६ करोड़ रुपए है। इसके बाद आंध्र प्रदेश के सांसदों की औसत संपत्ति १५०.७६ करोड़ रुपए है।
उक्त रिपोर्ट के आधार पर आगामी विस और लोस चुनाव के समय प्रत्याशी जो हलफनामा भरते हैं, उनका प्रकाशन या स्थानीय स्तर के मीडिया से जानकारी प्रसारित करना चाहिए। केंद्रों के पास भी जानकारी प्रदर्शित की जाए, ताकि स्थानीय जनता उनकी जानकारी से पता लगा सके कि, इनकी आमदनी बढ़ने का कारण क्या है ? इसके अलावा स्थानीय स्तर और सार्वजनिक स्थानों पर बड़े-बड़े पर्दों में उनके द्वारा कैसा व्यवहार और क्रिया-कलाप विधान सभा-संसद में किया गया है, जिससे समाज को पता चले कि, हमारे द्वारा चुने गए प्रत्याशी का चाल-चरित्र कैसा रहा, इससे चुनाव में मतदान करते समय शुचिता हो सकेगी।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।