गणपति आन विराजो मन में

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* गणेश चतुर्थी विशेष….. सत्य राह की चलूँ डगर मैं,बोलूँ नित शुभ बोल।गणपति आन विराजो मन में,भाव भरो अनमोल॥ दीन दुखी की सेवा करना,नेक बने यह ध्येय।कर्म करूँ मैं नितदिन सुंदर,बनूँ श्रेष्ठ उपमेय।कटुता मन में नहीं समाये,बात करूँ नित तोल।गणपति आन विराजो मन में,भाव भरो अनमोल॥ मौन त्याग कर न्याय दिलाऊँ,अनाचार जब … Read more

बदलाव

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** सोचे जनता देख कर,ये कैसा बदलाव।महँगाई है बढ़ रही,बढ़ता सबका भाव॥बढ़ता सबका,भाव देख कर,जनता रोते।नहीं चैन अब,मिले किसी को,रात न सोते॥बच्चे भूखे,बैठे रहते,खुद को नोचे।देख देश की,हालत जनता,कुछ तो सोचे॥ हालत बिगडे़ देश की,आया जब बदलाव।कोरोना के काल में,फँसे सभी की नाव॥फँसे सभी की,नाव साथ में,है बीमारी।मरते जाते,बूढ़े-बच्चे,संकट भारी॥घर-घर … Read more

कृष्ण जन्म

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** जन्माष्टमी विशेष………. जन्म लिये जब कृष्ण,घना बादल था छाया।बरसे पानी मेघ,देख मन भी घबराया॥टूटे बेड़ी हाथ,पाँव के बंधन खोले।देख देवकी मात,तनिक कुछ भी नहिं बोले॥ बाल रूप में आज,प्रगट हो गये मुरारी।दिखे साँवला रूप,कृष्ण मारे किलकारी॥मधुर-मधुर मुस्काय,देवकी मात निहारे।अपने धुन में खेल,लगे हैं कितने प्यारे॥ पकड़े वासुदेव,सूप में कृष्ण … Read more

भारत है सिरमौर

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रोला छंद आधारित….. वीरों का अपमान,कभी नहीं देश सहेगा।भारत है सिरमौर,विश्व गुरु सदा रहेगा॥ भारत माँ की धूल,माथ से सदा लगाऊँ।वंदन कर इस पुण्य-भूमि को शीश झुकाऊँ॥वीरों की यह शौर्य-भूमि का मान रहेगा।भारत है सिरमौर,विश्व गुरु सदा रहेगा…॥ उच्च हिमालय शीश-मुकुट माथे पर शोभित।पद तल वारिधि चरण,पखारे होता हर्षित॥सीमाओं पर खड़ा,वीर … Read more

माँ ही चारों धाम

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:१६-११ पर यति, पदांत २,१….. माँ से कोई बड़ा न जग में,चरणन करूँ प्रनाम।माता जग में सुंदर मूरत,माँ ही चारों धाम॥ माँ ही सबसे पहली गुरु है,ममता देती प्यार।दया प्रेम ममता है माता,माँ ही शिशु संसार॥माता ही दौड़े आती है,दु:ख में छोड़े काम।माता जग में सुंदर मूरत,माँ ही चारों धाम॥ … Read more

बांसुरी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:८८८७ वर्ण,क्रमश:प्रति चरण,४ चरण- समतुकांत। मधुर मुस्कान लिये,अधरों में तान लिये,बाँसुरी बजाय रहे,राधा को निहारे हैं। ग्वाल-बाल सखा सभी,गोपियाँ भी आयी तभी,मुरली की तान सुन,नाच रहे सारे हैं। मोहन बंसी की धुन,मंत्रमुग्ध सभी सुन,आई कब राधा वहाँ,सभी ये बिचारे हैं। श्याम संग खड़ी राधा,बीच नहीं कोई बाधा,प्रेम का मिलन यह,देख … Read more

समर्पण

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** १६-१४,पदांत-२२२….. सदा समर्पण सिखलाता है,सच्ची राह चलाता है।कर्म-धर्म के पथ पर चलना,उच्च मार्ग बतलाता है॥ जीवन में उपयोगी दोनों,त्याग-समर्पण होते हैं।प्रेम भाव हैं मन में भरते,सत्पथगामी होते हैं॥विनम्रता सद्भाव सिखाता,कर्म राह दिखलाता है।कर्म-धर्म के पथ पर चलना,उच्च मार्ग बतलाता है॥ सदा समर्पण सिखलाता है,सच्ची राह चलाता है।कर्म-धर्म के पथ पर चलना,उच्च … Read more

सावन आया अब आओ

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* रिमझिम बदरा बरस रहे हैं,सावन आया अब आओ,आकुल है मन तुमसे मिलने,मधुर सलिल रस बरसाओ। छम-छम करती बूंदे बरसे,नृत्य धरा पर दिखलाए,गर्जन करते मेघ साथ में,जैसे पावक दहकायेआ जाओ अब प्रियतम प्यारे,प्रीत व रीत सिखा जाओ,रिमझिम बदरा बरस रहे हैं,सावन आया अब आओ। झूला झूले आमा डाली,कोयल गीत सुनाती है,रंग-बिरंगी तितली आकर,मेरा … Read more

गीत खुशी के गाएंगे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा भार-३०- यति-१६,१४-पदांत-२२२…. गीत खुशी के गाएंगे हम,मिलकर साथ निभाएंगे।जन-मन को अभिनंदन करके,सबको साथ मिलाएंगे॥ आज खुशी के अवसर पर सब,मिलजुल कर के गाएंगे।एक-दूसरे का सुख-दु:ख हम,आपस कहते जाएंगे॥बाँटेंगे यह प्रेम परस्पर,खुशी के फूल खिलाएंगे।जन-मन को अभिनंदन करके,सबको साथ मिलाएंगे॥ गीत खुशी के गाएंगे हम,मिलकर साथ निभाएंगे।जन-मन को अभिनंदन करके,सबको साथ … Read more

संघर्ष का पर्याय जीवन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचना शिल्प:कुल मात्रा भार -२५/यति-१६-९; पदांत २१२ क्षणभंगुर जीवन सकल यह,कर लोे कर्म को।गीता का भी सार यही है,जानो मर्म को॥इस जीवन का कर्त्तव्य सदा,बस पुरुषार्थ है।सबको जाना इस दुनिया से,अटल यथार्थ है॥ संघर्ष का पर्याय जीवन,हार न मान लो।जीत जाओगे हर हाल तुम,बल पहचान लो॥हमें शिक्षा देते हैं सदा,ये संघर्ष … Read more