मानवता का रंग

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** जीवन हो निर्मल, भाषा अविरल, मृदुवाणी का, ध्यान धरें।मन होवे सुंदर, समता अंतर, मानवता का, मान करें॥छल और छलावा, व्यर्थ दिखावा, त्याग सभी जन, नित्य बढ़ें।जनहित कर जाएँ, जन मुस्काएँ, जीवन अनुपम, आप गढ़ें॥ गोरा अरु काला, हदय उजाला, जिसका होवे, मान करें।अंतर्मन जावें, भाव बनावें, रूप मोह से, सदा डरें॥ईष्या … Read more

वसंत की बयार

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** ऋतुराज,फिर आयामन को लुभाता,फूल खिलेमनभावन। मन,अपना झूमेलपक लूँ ख़ुशी,छूटे नहींसाथ। प्रेम,हास-उल्लासहर कोई गुलज़ार,मौसम हसींमनमोहन। यादें,खजाना खुलास्मृति ढेर सारी,हमराह कौन ?आज। नवयौवन,खिला चेहरावसंत की बयार,उड़ना चाहेप्यार। तितलियाँ,लुभाती रंगीनप्रकृति की चित्रकारी,बड़ी हसीनमनमोहिनी। धरा,महक उठीओढ़ी पीली चादर,किसान चहकेजनउत्सव। कोयल,बनी कोकिलापंछी झूमे डाल,करें सुस्वागतमसबका। अभिलाषा,माँ शारदेकृपा बनी रहे,वर मिलेंअनेक। बाँसुरी,मन मोहतीछिड़ी सुरीली तान,इठलाए गोरियाचहके॥

माघ-स्नान वृत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* पावन बहुत प्रयाग, चलो करें वंदन अभी।गुंजित सुखमय राग, रहें हर्षमय हम सभी॥ कितना चोखा मास, कहते जिसको माघ हम।जीवित रखता आस, हर लेता हर ओर तम॥ तीर्थ सुपावन नित्य, माघ माह की जय करो।खिल जाये आदित्य, सदा नेहमय लय वरो॥ गंगा में हो स्नान, जीव करे यश का वरण।मिलता नित … Read more

राम-राज लाइए

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** राम-राज… सदमार्ग वाली राह, लोग जो हैं भूल गए,उनको सद ज्ञान का, प्रकाश दिखाइए॥देश के लिए जो वीर, प्राण बलिदान किए,वीरता की गाथा युवा, पीढ़ी को सुनाइए॥शांति सदभावना का, हो प्रसार वसुधा पे,चहुं ओर प्रेम वाला, दीपक जलाइए॥भ्रष्टाचार रूपी इस, रावण का वध कर,भारत भूमि पे आप, राम राज लाइए॥

व्यंग्य

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** वर्तमान का मानव देखो, करता रहता व्यंग है।औरों के निज कर्म ध्येय पर, पथ करता नित भंग है। तुच्छ बात पर बिना विचारे, करते व्यर्थ प्रसंग है।आगे बढ़कर मैं दिखलाऊँ, ऐसी नहीं तरंग है॥ कर्म-धर्म का ध्येय नेक हो, इससे ही बस जंग हो।नित्य सफलता तीर हमारे, विजय राह प्रत्यंग हो॥ … Read more

सुखदाता गणेश

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** गणेश चतुर्थी विशेष… गौरी माँ के प्रिय लाल,पिता शिव महाकालकार्तिकेय ज्येष्ठ भ्राता,रिद्धि, सिद्धि लाते हैं। प्रथमेश श्री गणेश,काटते सकल क्लेशगजानन, लम्बोदर,लड्डू भोग खाते हैं। चतुर्भुज, दयावंत,बुद्धिदाता, एकदंतवक्रतुण्ड, गजकर्ण,उर में समाते हैं। बदन सिंदूर धारी,मूसा विघ्नेश सवारीगुड़हल, दुर्वा चढे़,सुख देने आते हैं॥

संकल्पों को सीखो जीना

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* संकल्पों को सीखो जीना, तब ही जीवन सफल बनेगा।उपवन में अब फूल खिलेंगे, हरियाली से बाग सजेगा॥ मुरली कान्हा मधुर बजाते, मूरत उनकी हृदय बसाओ।कठिन राह के दुर्गम पथ पर, दृढ़ निश्चय के बीज लगाओ॥बाधाएं तब दूर हटेगी, इस जग का अभिप्राय मिलेगा।संकल्पों को जीना सीखो, तब ही जीवन सफल … Read more

वतन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:३२ वर्णों के ४ समतुकांत चरण, १६-१६ वर्णों पर यति अनिवार्य, जबकि ८, ८, ८, ८ पर यति उत्तम। संयोजन-२ २ २ २, ३, ३ वतन नमन करसब मिलजुल करअहम शमन करनव शुभ पथ चल॥ कदम कदम बढ़नवल सृजन गढ़उन्नत शिखर चढ़तज कर छल बल॥ सब घुल मिल रहलड़ मत सब … Read more

सावन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* सावनमन भावनझूम-झूम बरसेताल-तडागभरे। नदियाँउफान परकल-कल करतीतीव्र वेगबहती। प्यासीभूमि भीजल से तृप्तहरी चादरओढ़े। खेतखाली थेअब तक जोकिसान भीचला। झरनेकल-कलकरते गिरते हैंमन करतेआनंदित। मेंढकटर्राते हैंझींगुर शोर मचातेकराते अहसाससंगीत। प्रकृतिकरती श्रृंगारधरा का ज्योंदुल्हन सजीजैसे। शिवभोले भंडारीबम-बम गूंजेशिव मंदिरमें। कावड़िएगंगाजल लाकरकरते शिव काश्रृद्धा सेअभिषेक। शोरमचाते हैंमोर पपीहे चातकआमंत्रित करतेमेघ। परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में … Read more

सरिता बहे हित में

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सरिता बहे जगत के हित में, सबको नीर दे।खेत सींचती,मंगल करती,सबकी पीर ले॥सरिता अपना धर्म निभाती, बहती ही रहे।कोई कितना कर दे मैला, सहती ही रहे॥ हर सरिता गंगा-सी पावन, इतना जान लो।हर सरिता पूजित,मनभावन,यह तो मान लो॥सरिता है भगवान की रचना, जिसमें ताप है।कितना उपकृत करती हमको, कभी न माप … Read more