एक मन कहाँ-कहाँ लगाएगा
प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** एक मन तू कहाँ-कहाँ लगाएगा,भटकेगा भव में या प्रभु को पाएगा। भजन, भोज, प्रेम प्रभु से कर अकेले में,तभी इनकी रक्षा कर पाएगा।प्रभु का कोई एक रूप अपना बना ले,तुलसी-सा प्रेम कर पाएगा।एक मन तू कहाँ-कहाँ…॥ संसार नेत्रों से प्रभु दिख न पाएंगे,हृदय नेत्र उन्हें देख पाएगा।नित प्रेम से … Read more