मन का खेल

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* महासागर-सा यह मन मेरा…धैर्य-बंधन में बंधा हुआ,नन्हें कंकड़ से फट जाता…दामन ज्यों धीर का फिसल गया। एकरसता ज़िंदगी की…तार-तार मन कर देती,जर्रा-जर्रा खोल देती…एकाकी से जीवन का। क्यों, किसलिए है जीना…कुछ समझ नहीं आता,छूट रही ज़िंदगी हाथ से…कांप-कांप मन है जाता। गंगा-जमना-सी धाराएं…बंधन तोड़ निकल पड़ती,थोड़ा-सा मन खाली होता…कुछ सुकून-सा मिल … Read more

शिव बारात

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** कर कठिन तपस्या माता को, शिव ने जब था स्वीकार किया,सज गई बरात देव आए अपने-अपने वाहन लाएसब अगल-अलग चल पड़े वहाँ,माता का मण्डप सजा जहाँशिव सबसे पीछे निकले थेबाराती सब उनके संग थे,बारात देखने आते जोमारे डर के भाग जाते वोऐसी बारात न देखी थीसपने में भी नहीं सोची थी,कोई बिना … Read more

मर्यादा की महत्ता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मर्यादा से मान है, मिलता है उत्थान।मिले सफलता हर कदम, हों पूरे अरमान॥ मर्यादा से शान है, रहे सुरक्षित आन।मर्यादा को जो रखें, वे बनते बलवान॥ मर्यादा से गति मिले, फैले नित उजियार।मर्यादा रहती सदा, बनकर जीवनसार॥ मर्यादा है चेतना, जाग्रत करे विवेक।मर्यादा से पल्लवित, सदा इरादे नेक॥ मर्यादा को साधता, … Read more

बुढ़ापा छू भी ना पाएगा…

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ कल रात मैं जब सोई थी,मीठे-मीठे सपनों में खोई थीतभी अचानक ऐसा लगा, किकिसी ने दरवाजे पर थपकी दी हैमैंने सपने में ही देखा-कि एक बूढ़ा दरवाजे पर खड़ा था,जिसके बाल सन्न से सफेद थेकंधे झुके और काया थी कृषकाय,हाथों में सहारे के लिए लाठी थीमैंने चिंतित स्वर में पूछाबाबा, सुबह-सुबह कैसे … Read more

मौन में छिपी सिसकी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गरीबी के आँसू की धारा, अविरत प्रवहित अवसाद कहेमौन में छिपी सिसकती सिसकी, दीन हीन स्वयं हमराह कहे। निशिदिन मौन मेहनती अविरत, दुनिया उनको मजदूर कहेभूख प्यास आतर जठनानल, बन अम्बर छत मजबूर कहे। अश्क विरत नयना बन खोदर, मिल पीठ पेट हैं एक बनेकृश काया मर्माहत चितवन, क्षुधित … Read more

ना जाने कितने!

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ ना जाने कितने…अनकहे प्रश्नों को लिए,खड़ी हूँ धरा पर दबी हुई,दूब-सी…। अवनी में दिख रही हैं, जो दरारें सभी,हमने ही आकर खोली थीमन की गाँठें कभी…तपती दुपहरी में ही नहीं, कर्कशा धूप में भी,हरी हूँ…अपनी ही उर्वरता से, अपने ही रूप में भी,जली नहीं नभ से गिरे ओलों और वृष्टि … Read more

मंजरित हृदय फुलवारी

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** दैन्य-दु:ख मिट गए सारेछँटी सब धूलियाँ मन की,सितारे आज हँसते हैंसोहे चंदा की उजियारी। सृजन का हर्ष है मन मेंगुंजरित पैजनी पग की,पल्लवित हो उठा यौवनमंजरित हृदय फुलवारी। रोमांचित प्राण होता हैअमित यह लालसा मन की,आएगा झूमकर बचपनगूँजेगी घर में किलकारी। गीत कोयल के मधु घोले,कामना नवल पल्लव की।लालायित मन की तृष्णा … Read more

बिलखता बचपन

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** माँ को भगवान ने छीना, बापू ने घर से निकाला,मेरी सारी आशाओं का, निकला आज दिवालासोचा था कि पढ़ लिखकर, सबको शिक्षित कर दूँगी,अपनी माता का जग में, रोशन मैं नाम करूँगी। दे दिया भाग्य ने धोखा, माँ को ही छीन लिया है,मेरे सारे सपनों को, सपनों में दफन किया हैखाने का … Read more

इसे बने रहने दो यारों..

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मोती की माला बनसमर्पित रहूं,मेरी यही कामना हैसंवाद से रिश्ते बने हुए,इसे बने रहने दो यारों। नकारात्मक विचारों कोमत जगह दो मन में,निष्पक्ष व सच के लिए बोलोरिश्ते जो हैं, इसे बने रहने दो यारों। बातें तो बातें हैं कभी चुभती हैकभी स्नेह और प्यार के धागे में,बंधी हुई रिश्तों … Read more

मधु-ऋतु

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** मधुमय मकरंद सदृश्यलालिमा रंग लाई है,खिलती-सी सकुचाती-सीयह ऊषा मन भाई है। केतकी, चमेली, चम्पासब मिल कर मुस्काई है,प्रातः के मंद सौरभ नेसकल धरा महकाई है। लिपटी लतिकाओं सेतरुओं की तरुणाई है,मधु-ऋतु में रंगों ने बसमृदुल छटा बिखराई है। तारिकाएँ जा रही हैंजन-जीवन सुखदाई है,अंधकार हट गया औररक्तिम आभा छाई है। मिश्रित संगीत … Read more