पुष्प

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ लाली पीली बैगनी,बागों खिलते फूल।उपवन में रहते सभी,कलियाँ जाती झूल॥कलियांँ जाती झूल,प्रेम की बात बताती।अपनी खुशबू संग,बाग को वह महकाती॥रंग-बिरंगे फूल,सजे पेड़ों की डाली।मधुर-मधुर मुस्कान,बिखेरे सुंदर लाली॥ काँटे सँग रहते सदा,सुंदर-सुंदर फूल।कोमल-कोमल पंखुड़ी,नहीं चुभते शूल॥चुभे कभी नहिँ शूल,बीच रहकर मुस्काती।सदा बाँटती प्रेम,ईश चरणों में जाती॥ममता के ये फूल,हमेशा खुशियाँ … Read more

पायल

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************** पायल की झनकार से,दिल होता बेचैन।आँखों में सपने सजे,चैन नहीं दिन रैन॥चैन नहीं दिन रैन,सताती उसकी यादें।आती उसकी याद,किये जो उसने वादे॥कहे ‘विनायक राज’,प्रीत से होते घायल।छम-छम की आवाज,पाँव में बजती पायल॥

सुंदर गजरा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ साजे गजरा केश में,सुन्दर लागे रूप।सबके मन को मोहती,रंक भले या भूप॥रंक भले या भूप,सभी होते दीवाने।वेणी सुन्दर होय,घटा सावन पहचाने।।कहे ‘विनायक’ राज,केश पर नाग विराजे।लहराती जब चाल,सोहती गजरा साजे॥

कुमकुम

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ कुमकुम रोली साथ में,सुन्दर चमके भाल।नारी की श्रृंगार से,बदले सबकी चाल॥बदले सबकी चाल,देखते मन को भाती।कुमकुम लाली माथ,नाज नखरा छलकाती॥कहे विनायक राज,सजाना नारी को तुम।स्वर्ग परी सी मान,लगे जब माथे कुमकुम॥

वेणी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************* नारी वेणी साजती,सुन्दर यह श्रृंगार।ममता की मूरत भली,देखें सब संसार॥देखें सब संसार,त्रिवेणी जैसी संगम।नारी शोभित केश,सुहानी लगती हरदम॥कहे ‘विनायक राज’,बने राधा-सी प्यारी।गूँथे वेणी रोज,दिखे सुंदरता नारी॥

माता रानी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* माता रानी अंबिके,कर देना शुभ काज।आए तेरे द्वार पर,रखना सबकी लाज॥रखना सबकी लाज,शरण में आज तिहारे।देखो हाहाकार,मचा है देश हमारे॥कहे ‘विनायक’ राज,करें क्या समझ न आता।तुमसे हैं अब आस,बचा लो जग को माता॥ कहना मेरा मान लो,हे जगजननी मात।जोत जलाऊँ आपकी,नव दिन अरु नवरात॥नव दिन अरु नवरात,करूँ सेवा मैं माता।तुम … Read more

बाल श्रम रोकें

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* रोकें मिलकर बाल श्रम,समझे मनुज सुजान।बच्चों के इस कार्य से,बाधित है उत्थान॥बाधित है उत्थान,बालपन कोमल होता।शिक्षा से रह दूर,नित्य ही सब-कुछ खोता॥धर लें उत्तम मार्ग,बढ़ें वे नित पढ़-लिखकर।होवे पूर्ण निषेध,इसे सब रोकें मिलकर॥ उत्तम जीवन हम गढ़ें,यही हमारा फर्ज।शिक्षा के शुभ मार्ग में,नाम कराये दर्ज॥नाम कराये दर्ज,बाल ही यही अधारा।जाएँ वे … Read more

गर्मी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दोपहरी की धूप से,बढ़ा ताप चहुँ ओर।तप्त तवे सी है धरा,पवन मचाए शोर॥पवन मचाए शोर,नहीं यह मौसम भाता।गर्मी का ये रूप,सभी को ये झुलसाता॥कहता कवि करजोरि,लगे अब रात सुनहरी।तन पर बहता स्वेद,रहे अब गरम दुपहरी॥ गरमी के इस ताप से,सूखे ताल तड़ाग।सूरज भी झुलसा रहा,बरसाता है आग॥बरसाता है आग,विकल हैं प्राणी … Read more

मजदूर

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ मजदूरी का काम है,करते प्रतिदिन काम।बहे पसीना माथ से,मिले नहीं आराम॥मिले नहीं आराम,हाथ छाले पड़ जाते।सर्दी हो या ठंड,सभी श्रम करके खाते॥परिवारों को देख,रहे सबकी मजबूरी।कैसे हो हालात,करे फिर भी मजदूरी॥ कहते हैं मजदूर को,जग के वो भगवान।कर्म करें वो रात-दिन,बने नेक इंसान॥बने नेक इंसान,सभी के महल बनाते।करते श्रम … Read more

आशा अरु विश्वास

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* आशा अरु विश्वास है,जीवन का आधार।मन में रख सद्भावना,विजित करे संसार॥विजित करे संसार,शांत हो जीवन अपना।सभी करें सत्कर्म,करें पूरा हर सपना॥कहता कवि करजोरि,करें हम दूर निराशा।मन से तमस मिटाय,रखें हम मन मेंआशा॥ बाधा सारी पार कर,मंजिल करते पास।घोर निराशा त्यागकर,रखें सभी हम आस॥रखें सभी हम आस,हृदय में हो उजियारा।आशाओं का दीप,मिटे … Read more